रविवार, 31 जुलाई 2022
हिंसक लोग और भक्ति का पाखंड ...💐
रविवार, 24 जुलाई 2022
साहब और शिष्य ...💐
दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रतिपल साहब को अलग अलग माध्यमों से याद करते हैं, पुकारते हैं। कोई साहब के नाम का सुमिरण करता है, तो कोई साहब का ध्यान करता है। कोई साहब की आरती गाता है, तो कोई संध्यापाठ और गुरु महिमा का पाठ करता है। कोई उनके भजन-साखी-शब्द दुहराता है, तो कोई उनके नाम से व्रत उपवास-दान-पुण्य और संतों की सेवा इत्यादि करता है।
जिसकी याद, जिसकी पुकार जितनी गहरी होती है, करुण और भावपूर्ण होती है, निष्कलंक-निर्झर-भक्तिमय और प्रेम से भीगी हुई होती है, उसकी आवाज साहब तक अवश्य पहुँचती है। साहब अपने उस भक्त को सुनते हैं, निहारते हैं तथा आशीष प्रदान करते हैं। यह आवाज, यह दृश्य, यह पुकार और उनका आशीष अव्यक्त होता है, निःशब्द होता है।
इसी तरह साहब के सुमिरण में प्रतिपल लीन भक्त भी सुदूर बैठे ही दामाखेड़ा में निशदिन साहब का दर्शन पाता है। वह साहब को सोते-जागते, लिखते-पढ़ते, खाते-पीते, बातें करते, नयनों में आँसू लिए देखता-सुनता और प्रेमातुर रोता है।
धन्य हैं ऐसे लोग जो साहब को निशदिन दूर से ही निहारा करते होंगे, उनकी मधुर आवाज सुना करते होंगे, साहब की अनहद नाद में लीन रहा करते होंगे। साहब भी अपने ऐसे शिष्य पर तीनों लोकों की संपदा लुटाया करते होंगे।
इस अद्भुत, विलक्षण और दिव्य क्षणों में साहब और शिष्य एक दूजे के हो जाते हैं। दो शरीर एक प्राण हो जाते हैं। दोनों का अश्रुपूरित मिलाप होता है, शिष्य की अनंत जन्मों की प्रतीक्षा फलीभूत होती है। उस बूंद रूपी शिष्य को साहब अपने सागर रूप (विराट सत्ता) में मिला लेते हैं, अपना रूप और गुण प्रदान कर देते हैं। साहब और उनके ऐसे परम शिष्य के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा की कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अहोभाग्य है उस जीवन का जो साहब के स्पर्श से होकर गुजरे ....
शनिवार, 23 जुलाई 2022
मैं लिखूंगा तो सुमिरण करेगा कौन?
मैं साहब का कुत्ता ...💐
"मैं साहब का कुत्ता" गले में उनके नाम की रस्सी बंधी हुई है।
जब जीवन की डोर परमात्मा के हाथ हो तो कोई लाख सर पटक ले, लाख हाथ पैर जोड़ ले, विनती कर ले। वो करता वही है जो उससे परमात्मा कहता है और करवाता है। साहब के कहने पर वो सोता है, जागता है, रोता और गाता है। परमात्मा ही उसे चलाता है, उसका हर पग परमात्मा के कार्यों के लिए उठता है, हर कार्य परमात्मा को समर्पित होता है।
काश... मैं तुम्हें समझा पाता, और काश तुम समझ पाते तो मुझ पर गुस्सा नहीं करते, तब तुम मुझसे नाराज नहीं होते। तुम्हें कैसे बताऊं, कैसे समझाऊँ की भूख-प्यास, नहाने धोने, उठने बैठने तक में उन्हीं का दखल है, उन्हीं का नियंत्रण है।
किसी के बुलाने पर जा नहीं सकता, किसी के जगाने पर जाग नहीं सकता, किसी के खिलाने पर खा नहीं सकता, किसी और के अनुसार जीवन के पल-पल का निर्णय भी नहीं कर सकता। तुम्हें गुस्सा करना है तो करो, नाराज होना है तो हो जाओ, बात नहीं करनी है तो मत करो, रिश्ता तोड़ना है तो तोड़ दो... भाड़ में जाओ, लेकिन अपने हिसाब से मुझे चलाने की कोशिश मत करो। आज से तुम्हारी और मेरी जयराम जी की।
किसी ने किसी से कहा और स्टोरी का "द एन्ड" हो गया।
गहन मौन ...💐
साहब की नकल ...💐
वो आबाद रहें ...💐
मेरे हिस्से की सारी महकती खुशियां, मेरी मुस्कान के सारे फूल, मेरे जज्बातों के सारे खुशनुमा भाव, मेरे जीवन का सारा सुख उन्हें मिले, जिन्हें मैं हृदय से प्यार करता हूँ, जिनके चरणों में शीश झुकाता हूँ। मेरा वजूद रहे न रहे, उनका अस्तित्व सदा कायम रहे, उनका आंगन हमेशा भरापूरा और आबाद रहे।
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शनिवार, 16 जुलाई 2022
माता साहब का आगमन ...💐
19 जुलाई 2022...
सफेद फार्च्यूनर कार...
बलौदाबाजार हमारे घर के सामने आकर रुकेगी...
माता साहब का आगमन... स्वागत...
हमारे सपने पूरे होंगे, अरमान पूरे होंगे, बरसों की प्रतीक्षा फलीभूत होगी।
साँसों के साथ पूरे घर परिवार में हलचल मची हुई है... घर के साथ साँसों और सुरति की भी सफाई करनी है... तैयारी के लिए समय बहुत कम है।
साहब की असीम कृपा, माता पिता के पुण्यकर्मों, साहब के प्रति उनके स्नेह और श्रद्धा की वजह से आज हम सभी परिजनों बेटे, बहुओं, पोता, पोतियों के जीवन में भी ऐसा सुअवसर आया है। माता साहब के चरणों में शीश रखने, उनके चरण पखारने, चरणामृत ग्रहण करने का अनमोल पल जीते जी इसी जीवन में प्राप्त हो रहा है।
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शुक्रवार, 15 जुलाई 2022
मैं साहब के चमत्कारों का साक्षी हूँ ...💐
साहब की अलौकिक कृति ...💐
ओह....इतनी सुंदर दुनिया, ऐसे खूबसूरत नजारे, हरे भरे और चहचहाते जीव जगत, रहस्यों से भरे ग्रह, तारे और नक्षत्र। सुदूर तक फैला स्वच्छ, गहरा और नीला आकाश। स्वछन्द बहती जलधारा और पुरवाई, खेतों की लहलहाती फसलें, बच्चों की तुतली बोली और निर्झर मुस्कान, माँ की ममता, हरेक जीव की धड़कनों में संचरित प्यार का लयबद्ध मधुरतम संगीत। भोर और गोधूलि बेला पर आसमान में छाई लालिमा, प्रत्येक क्षण एक नए अंकुर का प्रस्फुटन और विघटन ...
इतनी सुंदर दुनिया ... क्या ये सब साहब की कृति है? मंत्रमुग्ध और अभिभूत कर देने वाले ये नजारे, धड़कनों को झंकृत कर देने वाली दिव्य आवाजें ... विस्मयकारी, सीमाओं से परे, विराट, विस्तृत और अप्रतिम सुंदरता से आह्लादित ब्रम्हांड साहब की ही कृति है?
विदाई से पहले आपको जीभरकर निहार लूँ, आपकी कृतित्व का आनंद उठा लूँ। अगली बार फिर मेरी जिंदगी में आ जाना, अपनी इस खूबसूरत रचना का फिर से परिचय करवाना।
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सोमवार, 11 जुलाई 2022
स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडे का विरोध ...💐
वक्तव्य
छत्तीसगढ़ के माननीय स्कूली शिक्षा मंत्री श्री प्रेमसाय सिंह जी आपके विधानसभा वक्तव्य दिनाँक 18 जुलाई 2019 के सम्बन्ध में मेरा और हम सभी कबीरपंथियों का अभिमत इस प्रकार है, उस गम्भीरता से चिंतन एवम मनन की आवश्यकता है ।
हम आंगनबाड़ी और स्कूली बच्चों में कुपोषण के खिलाफ सरकार के प्रयास की प्रशंसा करते हैं, और कुपोषण के विरुद्ध सरकार के इस लड़ाई का हम समस्त कबीर पंथी स्वागत करते हैं। आपसे विनयपूर्वक कहना चाहते हैं कि हम कुपोषण के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं हैं, बल्कि कुपोषण से मुक्ति के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में अंडा वितरण के तौर तरीके से असहमत हैं।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में करीब चालीस लाख की संख्या में कबीरपंथी विभिन्न जिलों में निवास करते हैं। हम सभी कबीरपंथी और हमारा पूरा परिवार शाकाहारी हैं, साथ ही कुछ और भी मत एवं सम्प्रदाय के लोग भी अंडा अथवा किसी भी अन्य प्रकार के मांसाहार का सेवन नहीं करते है ।
अनेक बच्चे जो अंडा अथवा मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करते वे मांसाहार भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों के साथ बैठकर भोजन करने में असहज महसूस करेंगे। अनेकों को भोजन में अंडा देखकर उल्टी भी हो जाती है। इसके ठीक विपरीत अगर अंडा खाने वाले बच्चों को शाकाहारी बच्चों से अलग जगह पर भोजन परोसा जाता है तो उन बच्चों में असमानता और भेदभाव बढ़ेगी ।
चूंकि सरकारी विद्यालय सार्वजनिक जगह है या दूसरे शब्दों में ये कहे तो कोई अतिसंयोक्ति नही होगी कि स्कूल विद्या की मन्दिर है । ऐस स्थिति में हमें सभी बच्चों और पालकों की हितों, भावनाओं और आस्था का ध्यान रखना होगा। हमारी तो सरकार से सिर्फ इतनी ही विनती है कि विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में हमारे बच्चे पढ़ते हैं, वहां पर अंडा न परोसा जाए । यदि अबोध स्कूली बच्चों को उनके पालक अथवा अभिभावक अंडा खिलाना चाहते हैं उन्हें उनके घर पर अंडा पहुँचा दिया जाए लेकिन शिक्षा के मंदिर में अंडा बिल्कुल भी न परोसा जाए।
(1) आपने उल्लेख किया है कि एसआरएस के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 83 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं। जबकि एक सर्वे में यह भी कहा गया है कि राज्य में 46 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब राज्य के 83 प्रतिशत लोग अंडे और मांस का नियमित सेवन कर रहे हैं तो 46 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार कैसे हो सकते हैं।
(2) प्रतिष्ठित संस्था "जामा" की सर्वे कहती है कि अंडे में बहुत ज्यादा मात्रा में कोलेस्ट्रॉल उपस्थित होता है, जिससे कि अंडा खाने वाले बच्चे हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से दिल की गंभीर बीमारियों के साथ ही अन्य लाइलाज बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। और हमारे नौनिहालों को अंडा परोसकर गंभीर बीमारियों का शिकार बनाए जाने की साजिश रची जा रही है।
(3) आपने देश के कुछ अन्य राज्यों के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडे के वितरण का जिक्र किया है। आपको अवगत कराया जाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य की अपेक्षा अन्य राज्यों में कबीरपंथियों की संख्या अपेक्षाकृत कम हैं लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य में करीब चालीस लाख लोग कबीरपंथी हैं जो अंडा अथवा मांसाहार का सेवन नहीं करते। राज्य की इतनी बड़ी आबादी मध्यान्ह भोजन में अंडे परोसने का विरोध करती है।
(4) अनेक शोधों से पता चला है कि अंडे से ज्यादा प्रोटीन, विटामिन, फाइबर प्राकृतिक रूप से भीगे मूंग, चना, मूंगफली में पाया जाता है जो मानव के लिए उत्तम स्वास्थ्यवर्धक है। इससे उच्च स्तर का पोषण मिलता है।
(5) अनेकों शोधों से यह भी पता चला है कि मांसाहारियों का जीवन शाकाहारियों की तुलना में अपेक्षाकृत कम होता है। जिसका उदाहरण अनेक धर्म ग्रन्थों में है।
अतः विशाल कबीरपंथ समाज की जनभावनाओं का ख्याल हुए हमारी मांगे पूरी की जाए और राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों के मध्यान्ह भोजन से अंडे को तत्काल हटाया जाए। अन्यथा राज्य और पुरे देश में हम कबीरपंथियों द्वारा विरोध प्रदर्शन, चक्का जाम किया जाएगा। किसी अप्रिय स्थिति की जिम्मेदार सरकार होगी।
साहब से दूरी ...💐
निःशब्द प्रेम ...💐
मेरे पिताजी ...💐
मेरे पिताजी फेसबुक क्या होता है, नहीं जानते। लेकिन वो मेरे लेखों के बारे में दूसरों से सुनते हैं। आज कह रहे थे कि ये सब लिखना बंद करो। कुछ भी लिखते रहते हो, तुम्हारी जग हंसाई होती है।
मैं घर वालों को कैसे समझाऊँ की साहब के बिना जी नहीं सकता यार, और साहब से कुछ कहने के लिए, उनके चरणों में प्यार उड़ेलने के लिए, मेरे पास फेसबुक ही एकमात्र जरिया है।
क्या करूँ, साहब के लिए पागलपन रहता है, जुनून रहता है, दिनभर उनकी यादों से, उनकी अनुभूति से आंखें नम रहती है। अपने हृदय की बात उनसे नहीं कह पाया तो पागल हो जाऊंगा।
हे साहब, हे मालिक, जब तक सांसे हैं, बांहें थामें रखिएगा।
😢😢😢
गुरुवाई ...💐
वो कठिन लम्हें....💐
मेरा भी जीवन हीरे सा तराश दीजिए ...💐
उलझे प्रश्न ...💐
मेरी चौका आरती ...💐
रविवार, 10 जुलाई 2022
हर कदम पर साहब का सुमिरण ...💐
पूर्णिमा और साहब की बंदगी ...💐
मेरी तन्हाई 💐💐💐
तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...
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सुख और दुख हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। जैसे चलने के दायां और बायां पैर जरूरी है, काम करने के लिए दायां और बायां हाथ जरूरी है, चबाने ...
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जो तू चाहे मुझको, छोड़ सकल की आस। मुझ ही जैसा होय रहो, सब सुख तेरे पास।। कुछ दिनों से साहब की उपरोक्त वाणी मन में घूम रही थी। सोचा उनके जैस...
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पान परवाने का मोल तब समझा जब जिंदगी तबाह होने के कगार पर थी, साँसे उखड़ने को थी। जीवन के उस मुहाने पर सबकुछ दांव पर लगा था, एक एक पल युगों के...