बुधवार, 30 मई 2018

मोगरे के सूखे फूल...💐💐💐

बीते दिनों रंगीन कागज के कई पन्ने और सूखे मोगरे के फूल हवा के झोंको से कमरे में बिखर गए। उन्हें समेटते और सहेजते हुए अतीत की कई यादों के साथ मन अठखेलियाँ करने लगा।

हृदय का वो दरवाजा अकस्मात खुल गया जो बरसों से बंद था। वो किसी के प्रेम पत्र थे। उनमें छोटी छोटी सी, खट्टी मीठी सी बातें लिखी थी, अहसास और जज़्बात लिखे थे, हरेक पल का हिसाब लिखा था। उन पन्नो में प्यार भरे कोमल और मख़मली शब्दों में "जिंदगी" लिखी थी।


उन पत्रों को पढ़ते पढ़ते आंखें छलछला आई। सहसा होश आया कि अब वो करीब नहीं है, पास और साथ नहीं है। सारे पत्र और सूखे मोगरे के वो फूल समेटकर आलमारी में बंद कर दिया। साथ ही हृदय का वो दरवाजा भी आंसू पोछते हुए बंद कर दिया जो बेवजह और बेवक़्त खुल जाया करता है।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...