शुक्रवार, 21 जून 2019

राजयोग...💐

राहु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है। जनम कुंडली के अनुसार यह योग 2024 तक चलेगा। जो मारकेश और अनिष्ठ कारक है। शरीर को कष्ट, धन की हानि और गृहस्थी में समस्या पैदा करता है। समय पक्ष में नहीं है, लिए गए निर्णय विफल सिद्ध होंगे। अच्छे स्वास्थ्य के लिए चार रत्ती का मूंगा गंगाजल में स्नान कराकर मंगलवार को धारण करो। नौकरी में तरक्की के लिए सात शनिवार अनार के फूल शहद में डुबाकर नदी में प्रवाहित करो। खुशहाल गृहस्थी के लिए सात सोमवार शिवजी और पार्वती को बेल पत्र और दूध अर्पित करो। सब मंगल ही मंगल होगा।

2024 से गुरु की महादशा प्रारंभ होगी, जो राजयोग का कारक होगा। साथ ही कुंडली के दसवें भाव में बुधादित्य योग बना हुआ है, जिससे जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की होगी, लक्ष्मी बरसेगी। दाहिनी बांह में हल्दी की गांठ बांध लेना, केले के वृक्ष की पूजा करना। सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा। पंडित जी ने यही बताया था।

राजयोग की बात सुनकर नींद उड़ी हुई है। एफिल टावर और ताजमहल के पास बंगला बनाने का सोच रहा हूँ। बुर्जखलिफ़ा का एक फ्लोर भी ले लूंगा। लासवेगास में शॉपिंग करने जाऊंगा, शाहरुख खान को अपने बर्थडे पर डांस करवाऊंगा, ट्रंप, पुतिन, और मोदीजी को भी डिनर पर इनवाइट करूँगा, ऑडी, रोल्स रॉयल की लाइन होगी, अम्बानी मेरे पास कर्जा लेने आएंगे, एक चार्टर्ड प्लेन भी रख ही लूंगा।

क्या लागत है मोर...💐

उस नवयुवक के मन में साहब को जानने की गहरी प्यास थी। उसने कुछ महीने संतो की शरण में बिताए, सत्संग किया, ध्यान किया, साहब को याद किया, साहब के नाम का रस चखा। उसे संतों की संगत रास आने लगी। सफेद लिबास में ओजमय, शांति और संतुष्टि से दमकता संतों का चेहरा उसे आकर्षक लगता।

संतजन अक्सर कहा करते थे जगत में अपना कुछ भी नहीं है-
"मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर।
तेरा तुझको सौंपता, क्या लागत है मोर।।"

एक दिन उस नवयुवक को भी अहसास हुआ कि उसके जीवन में जो कुछ भी है, वो सबकुछ परमात्मा का है, साहब का है, जीव जगत का है। उसे तन, मन, धन और जीवन साहब ने जनकल्याण के लिए दिया है।

एक दिन सड़क किनारे एक मैले कुचैले वस्त्रों से लिपटी, छोटे से बच्चे को लिए महिला ने भीख मांगने के उद्देश्य से उसकी ओर हाथ बढ़ाया। वो नवयुवक उसे वहीं रुकने को कहकर पास के एटीएम गया, अठारह हजार रुपए की सारी जमा पूंजी निकाल लाया और उस महिला के हाथ में थमाकर आगे बढ़ गया।

संतों को जब ये बात पता चली तो वो नवयुवक पर आग बबूला हो गए, खूब खरी खोटी सुनाई। नवयुवक ने कहा- "आपका ही दिया ज्ञान है, जिसे जी लिया।"

आखिर उन संतों ने उस नवयुवक को क्यों डाँटा होगा? नवयुवक से वो संत क्यों खुश नहीं हुए? नवयुवक तो साहब की वाणी को जीने की कोशिश कर रहा था।

आम जिंदगी और अवसर...💐

दरअसल यही आम जिंदगी है, आम जिंदगी की मुसीबतें थमने का नाम नहीं लेती। व्यक्ति हर तरफ से असहाय होता है। और यही आम जिंदगी, तकलीफों और परेशानियों से घिरी परिस्थिति साहब से जुड़ने का सुनहरा अवसर भी होता है। जब दुखों और परेशानियों का पहाड़ उस पर टुटता है, कहीं से भी उसे कोई मदद नहीं मिलती, तब दहाड़ मारकर साहब को मदद के लिए पुकारता है। वह चिर निद्रा से जागता, साहब को याद करता है। मेरी दृष्टि में यही आम जिंदगी श्रेष्ठ है, यही वो पल होता जिस पल साहब मिल सकते हैं, हमारी हृदय की गहरी पुकार पर साहब हमारा हाथ थाम सकते हैं।

विपरीत परिस्थितियों से घिरी जिंदगी में बेपनाह तड़प होती है, तलाश होती है, गहरी प्यास होती है। बस तड़प को, उस प्यास को, उस तलाश को साहब से जोड़ दें तो बात बन सकती है।

आम जिंदगी की परेशानियाँ...💐

लाख जतन कर लो, लेकिन हर महीने पैसे कम पड़ जाते हैं। सेलेरी आने के पहले ही खर्चों के लिए रास्ता तैयार रहता है। परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य, चिकित्सा, दवाइयों का व्यय, बच्चों की शिक्षा और ऑटो का खर्च, पेट्रोल का खर्चा, मोटर साइकिल की सर्विसिंग, मोबाइल का रिचार्ज, टीवी का रिचार्ज, घर का किराया, रोज की सब्जी भाजी, हर महिने का आटा और चावल, बिजली का बिल, तेल, नमक, मिर्ची, हल्दी, धनिया जैसे आवश्यक सामानों का खर्च, परिवार की छोटी छोटी जरूरतें और इक्छाओं पर व्यय, आकस्मिक ख़र्चे...उफ़ लिस्ट बड़ी लंबी है।

दूसरों की नौकरी की तब भी पैसे कम पड़ते थे, खुद का व्यवसाय करके देखा तब भी पैसे कम पड़ते थे, सरकारी नौकरी करके देखी फिर भी पैसे कम पड़ते हैं।  हर महीने चिरकुट दोस्तों से उधारी मांगे बिना काम ही नहीं चलता। एटीएम से निकली पर्ची भी हर बार जीरो बैलेंस बताती है।

जेब खाली रहने से मन में बेचैनी रहती है, मन उदास रहता है, कांफिडेंस खत्म हो जाता है। घर चलाने में अच्छे अच्छे मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वालों का तेल निकल जाता है। और ये हाल सिर्फ मेरा ही नहीं है।

तो क्या सुख सिर्फ पैसों से है? इस समस्या का आखिर सोलुशन क्या है? क्या ज्यादा पैसे कमाने से वो फिर से कम नहीं पड़ेंगे?

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...