शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

पंथ श्री गृन्ध मुनि नाम साहब...💐

आज भी गृन्धमुनि नाम साहब की अदभुत, पारलौकिक, तेजोमयी वाणियों को पढ़कर लोगों का ध्यान साहब में अकस्मात ही लग जाता है। कइयों के जीवन की दिशा ही बदल ही जाती है और वो परमार्थ के रास्ते चले आते हैं। कई तो उनके शब्दों को पढ़ते पढ़ते ही मुक्ति को प्राप्त कर जाते हैं।

जैसी मिठास उनकी वाणी में थी, वैसा ही ओज और सौम्यता उनके चेहरे पर होती थी। उनकी वाणी में दिव्य सुगंध थी, और शब्दों में ताजगी। जो आज भी अमृत कलश और अन्य ग्रंथो के माध्यम से इस धरा में फैली हुई है। जरा उनके शब्दों को महसूस तो करिए:-

"जब हम संसार में रहते हैं तब भी इस संसार में हमारा जीवन खोता है, बचता नहीं। हमारा सब कुछ लुटता है और जब हम परमात्मा को पाते हैं, उपलब्ध करते हैं तब भी हम खोते हैं, तब भी बचते नहीं हैं। किंतु दोनों के खोने में जमीन आसमान का अंतर है। हम संसार में खोते हैं तब केवल एक पीड़ा है, दर्द है, एक बेचैनी है, और उपलब्धि कुछ भी नहीं। परमात्मा में जब हम खोते हैं तब बड़ी उपलब्धि है। न वहाँ बेचैनी है, न वहाँ पीड़ा है, न दर्द है। खोता है हमारा छोटा सा अस्तित्व, छोटी सी सीमा और हम विशाल बन जाते हैं।"

वैराग्यता के शिखर की अनुभूति कराने वाले उनके शब्द दिल में छुरी चलाने के लिए काफी हैं, नींद से जगाने के लिए काफी हैं। जीवन की सत्यता का बोध कराने के लिए उनकी चंद पंक्तियां पर्याप्त हैं।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...