बुधवार, 22 दिसंबर 2021

बंदगी के काबिल ...💐

जो लोग साहब को सामान्य मानव समझते हैं, ताज की महत्ता से अनजान होते हैं, अक्सर वो लोग हर बात के लिए साहब को दोष देते हैं। वो ये नहीं जानते कि साहब का हर एक पल बेहद कीमती होता है, वो किसी एक के लिए इस धरा पर अवतरित नहीं हुए, बल्कि हरेक जीव की चिंता उन्हें होती है। उनके लिए सब जीव बराबर होते हैं, फिर क्या अमीर और क्या गरीब।

कोई साहब के हाथ से प्रसाद नहीं मिल पाने पर रुष्ट होता है, तो कोई भारी जनसैलाब के बीच बंदगी नहीं मिलने पर रुष्ट हो जाता है। वहीं कुछ लोग इसलिए नाराज हो जाते हैं कि साहब ने कार्यक्रम के लिए समय नहीं दिया। तो कुछ लोग साहब की चेतावनी भरी वाणी से नाराज हो जाते हैं, चटक जाते हैं।

कुछ लोग छोटे साहब-बड़े साहब के रूप में साहब में भेद मानते हैं, और बंदगी करना, उनके हाथ से प्रसाद, पान परवाना लेना तक उचित नहीं समझते। जबकि साहब और साहब के परिवार का हर सदस्य हमारे लिए परमात्मा के स्वरूप हैं। उनके बीच कोई अंतर नहीं।

दरअसल जो घनघोर अहंकार से ग्रसित होता है, और जो साहब को सामान्य मानव समझने की भूल करता है, वही लोग ऐसी मानसिकता के साथ जीते हैं। जबकि साहब के सच्चे भक्त तो साहब के सुमिरण मात्र में ही सत्यलोक का आनंद पाते है। वह खुद बंदगी के लाइन से हटकर किसी जरूरतमंद जिसे साहब के पान परवाना की सख्त जरूरत होती है उसे लाईन में आगे बढ़ा देता है।

यह तो हमारी खुशकिस्मती है कि उन्होंने हमें अपने चरणों में स्थान दिया, नाम दान दिया, अपने नाम के सुमिरण का अधिकार दिया। वरना हम तो उनकी बंदगी के काबिल ही नहीं हैं।

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तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...