रविवार, 10 जुलाई 2022
हर कदम पर साहब का सुमिरण ...💐
विगत कुछ समय से फेसबुक से दूर हूँ और अपना पूरा समय काम, परिवार और सेहत पर केंद्रीत कर रहा हूँ। रोज की दिनचर्या का एक घंटा मार्निंग वॉक या इवनिंग वॉक के लिए निकालता हूँ। ये ऐसा वक्त होता है, जिस समय मैं नितांत अकेला होता हूँ, एकांत में होता हूँ, गार्डन की हरियाली के बीच गहरी प्राणवायु ले रहा होता हूँ। अगर इस प्राणवायु के साथ साहब का नाम साँसों में घुलकर हृदय, फेफड़ों और शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंच जाए तो मेरी वॉकिंग सार्थक हो जाएगी।
पूर्णिमा और साहब की बंदगी ...💐
इस बार जयेष्ठ पूर्णिमा सद्गुरु कबीर साहब के प्रगट दिवस और एकोतरी चौका आरती के शुभ अवसर पर दामाखेड़ा में साहब के चरणों में बंदगी कर ही ली। उन्होंने मुझे पहचान ही लिया, मेरी बंदगी के प्रतिउत्तर में उन्होंने भी साहेब बंदगी कहा।
दोपहर दो बजे से लेकर रात के दस बजे तक का समय चौका स्थल में साहब की प्रतीक्षा में बीता। उस प्रतीक्षा में बरसों को प्यास थी। उस दिव्य सत्ता के दर्शनों के बाद, उनकी बंदगी के बाद रातभर आँखों से आंसू छलकते रहे। चौका स्थल के पास के मैदान में लेटे हुए, पूर्णिमा के चांद में उनकी अनुपम छवि निहारते हुए रात गुजरी।
उस पल की याद में अब तक खुशी से निढाल हूँ, आँसू अनवरत बहते हैं।
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