मंगलवार, 19 मार्च 2019

मार्ग नहीं सूझता...💐

कहते हैं किसी से कुछ मत कहो। जो हो रहा है उसे होने दो, जो दिख रहा है उसे दिखने दो, जो सुनाई दे रहा है उसे भी इग्नोर करो और सहजता से आगे बढ़ जाओ। जहां रुके, रूककर आनंदित हुए, भावुक हुए तो फिर से बंध जाओगे।

अतीत में क्या हुआ, भविष्य में क्या होगा और वर्तमान में क्या घटित हो रहा है, इन बातों में मत उलझो। पंख फैलाकर बस अपनी उड़ान जारी रखो। लेकिन कोई तो बताए कहाँ तक उड़ान भरी जाए? उसका तो कोई ओर समझ नहीं आता, कोई छोर समझ नहीं आता। करें तो करें क्या? किससे पूछें, कौन बताए, कौन बांह पकड़कर पार लगाए?

कब तक इस विकट परिस्थिति में पड़े रहना होगा, कब तक सांसे संभाले रखनी होगी? ये तो कंट्रोल से अब बाहर जा रहा है, सबकुछ डांवाडोल सा लग रहा है। इस विचित्र स्थिति में तो जीवन ही दाँव पर लग गया है।

इतनी बड़ी बात हो जाए फिर कैसे सहज रहा जाए, कैसे सहजता से जीवन जीया जाए कैसे अपने को संभाला जाए? कोई मार्ग नहीं सूझता।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...