शनिवार, 24 नवंबर 2018

काबिलियत...💐

स्वाभाविक रूप से हर मानव में कुछ न कुछ कमियां होती ही है। लेकिन पूजनीय और जिम्मेदारी के पदों को धारण करने वाले लोग, हमें साहब का मार्ग बताने वाले लोग, साहब से हमें जोड़ने वाले महंत लोग कम से कम बंदगी करने के काबिल तो हों, उनका बाहरी आचरण तो कम से कम साफ सुथरा हो।

ऐसा नहीं है कि सब लोग बुरे हैं। हमारे आसपास बहुत से अच्छे लोग भी हैं, जो बेदाग और मर्यादित जीवन जीते हैं, साफ छवि रखते हैं। उनका साहब के प्रति समर्पण सहज ही दिख पड़ता है, और जिन्हें देखते ही मन में श्रद्धा उमड़ पड़ता है।

जिस दिन किसी व्यक्ति को साहब से महंती पंजा प्राप्त होता है उस दिन से ही वह व्यक्ति समाज में साहब के प्रतिनिधि के रूप में पहचाना जाने लगता है। तब उसका जीवन उसका नहीं रह जाता, साहब का हो जाता है। वह महंत, साहब के जीव कल्याण के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, अपना जीवन देता है।

बदले में समाज उसे क्या नहीं देता? समाज उसे सम्मान देता है, आदर देता है, धन देता है, जगत कल्याण के लिए जीने का मकसद देता है, अपने घर और हृदय में स्थान देता है, चरणों में शीश नवाता है।

ऐसे में उनसे कम से कम पारदर्शिता, निष्पक्षता, अच्छे आचरण और मानवीय गुणों की अपेक्षा तो होती ही है।

💐💐💐

साहब का साथ...💐

अस्पताल की बिस्तर पर जब मौत से जंग हो थी तब जान बचाने के लिए न तो कोई कांग्रेस का नेता आया था, न भाजपा का नेता आया था, न ही जनता कांग्रेस का, और न ही समाज और जातिवाद के ठेकेदार। तब सिर्फ साहब थे, तब सिर्फ साहब ने हाथ बढ़ाया था और जान बचाई थी, साँसे दी थी। उनके नाम की डोर थामें ही मृत्यु पर विजय मिली थी।

मैं पूछता हूँ कहाँ थी तुम्हारी राजनीति जब मेरी तीन साल की नन्ही सी बेटी पांच दिन अस्पताल में दर्द से तड़पती रही, कहाँ थे तुम जब हाथ जोड़कर उस डॉक्टर से जान बचाने के लिए गिड़गिड़ाता रहा। फीस कम करने के लिए पैरों पर गिरा था। तब भी सिर्फ साहब थे, तब भी उन्होंने ही हाथ थामकर हमें जिंदगी दी।

मेरे मासूम प्यार को छिनने वाले, जिंदगी भर का दर्द देने वाले राजनीति और लोकतंत्र के ठेकेदार, जातिवाद के ठेकेदार तुमने हर कदम पर धोखे के अलावा कुछ दिया ही क्या है?

आज फिर तुमसे कह रहा हूँ, मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है। उस परमात्मा की जरूरत है, साहब की जरूरत है, जिन्होंने ये साँसे दी, खूबसूरत संसार को निहारने के लिए हमें जिंदगी दी।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...