सच बताओ कौन हो? न जाने कब से मेरे जेहन में समाए हो, मेरे विचारों से गुंथे हुए हो। मेरी हर बात, हर अहसास की खबर रखते हो। अपनी छुअन से मेरी धड़कन के तार झंकृत करते हो। एक भी पल मुझे अकेले नहीं छोड़ते, मेरे साथ साथ चलते हो साए की तरह, हमराज की तरह।
सच बताओ कौन हो? मुझे दिनरात जगाए रखते हो, अपने मोहपाश के बांधे रखते हो। रिश्ते की एक महीन डोर जोड़े रखते हो, सुरति के तार से निशदिन मुझसे जुड़े ही रहते हो। जब दूर होना चाहूँ, तो भी नहीं होने देते। ये रिश्ता तोड़ देना चाहूँ तो भी नहीं टूटने देते।
सच बताओ कौन हो? प्रतिपल मेरा पीछा क्यों करते हो? कौन हो जो मुझे आवाज देकर पुकारते हो, जगाते और सुलाते हो, रहस्यों की बात बताते हो, अगम की कहानी कहते हो, निर्गुण और सगुण के पार की अनुभव कराते हो, हर राज से पर्दा उठाते हो। सच बताओ कौन हो?
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