मंगलवार, 25 जून 2019

पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब...💐

बचपन में उन्होंने मेरे कान में कुछ शब्द कहे थे, मेरे गले में कंठी बाँधी थी, पान परवाना देते हुए मुझे स्पर्श किया था। उनका वो दिव्य स्पर्श जिंदगी में कभी नहीं भुला। जब जवानी आई, खुद की खोज शुरू हुई तब अमृत कलश के उनके शब्दों ने मुझे उनका परिचय दिया। उनके एक एक शब्द जिंदगी में घुले हुए हैं, रचे बसे हैं। समय बीतने के साथ साथ उन्हें जानने की उत्सुकता बढ़ती ही गई। ज्यों ज्यों पन्ने पलटते गया, प्यास बढ़ती गई, खोज बढ़ती गई, उनकी ओर खींचता ही चला गया। फिर एक दिन अहसास हुआ कि वही परमात्मा हैं।

जब भी जिंदगी में कठिन लम्हें आते हैं, अमृत कलश के उनके शब्द मुझे रास्ता दिखाते हैं, उर्जा से भर देते हैं, फिर से जी उठता हूँ। मुझे आज भी अमृत कलश के उनके शब्दों के अलावा कुछ और समझ नहीं आता। अगर वो नहीं होते, उनका कोमल स्पर्श प्राप्त नहीं होता तो शायद जिंदगी में साहब भी न होते।

इस जीव जगत में जिसने भी उनके दिव्य और कोमल स्पर्श का सौभाग्य प्राप्त किया वो धन्य हो उठा, उसका जीवन महक उठा। उनके समकालीन लोग आज भी उन्हें जीते हैं, उनकी यादों को जीते हैं, और जब उनकी बात बताते हैं तो हर सुनने वाले की आँखे श्रद्धा से छलक उठती हैं। उनके बारे में कहते सुनते सारी रात गुजर जाती है लेकिन कहने और सुनने वाले नहीं अघाते।

💐💐💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...