मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

निरंजन...💐💐💐

बिटिया ने आज पूछ ही लिया- "पापा, निरंजन कौन है? गाँव में साधु बाबा बता रहे थे कि वो राक्षस जैसा बहुत बड़ा दिखता है, मुझे बहुत डर लगता है। साहब के गांव जाते हैं तो वो निरंजन रोक लेता है, आगे जाने ही नही देता है। हम लोग कैसे साहब के गाँव जाएंगे?"
पिछले दिनों एक साधु बाबा पांच नाम रटा रहे थे, बता रहे थे की पांच नाम कहने से निरंजन सिर नीचे करता है, फिर आत्मा उसके सिर पर पैर रखकर सत्यलोक की ओर बढ़ता हैं। पांच नाम याद नही होने पर निरंजन वापिस चौरासी लाख योनियों में भटकने के लिए फिर से भेज देता है। ये सब बात सुनकर बिटिया डर गई।
कुछ लोग साहब के ज्ञान को इतना कठिन, दुर्गम और डरावना बना देते हैं की आम भोलाभाला आदमी बेचारा डर के मारे साहब की ओर कदम ही नही बढ़ाता है। खासकर छोटे छोटे बच्चे घबरा जाते हैं, अवचेतन में डर भर जाता है।
जबकि साहब तो कहते हैं-
खोजी होय तो तुरंत मिल जाऊं, एक पल की तलाश में... और कहते हैं- सिर्फ ढाई इंच अपने अंदर ही साहब मिलेंगे।
गलती उन जैसे साधु बाबाओं की है या हम जैसे गृहस्थों की? इस बारे में उन्हें कुछ निवेदन करो तो बिफर पड़ते हैं, कहते हैं- तुम सच्चे कबीरपंथी नही हो... या कहते हैं- कबीरपंथ खाला का घर नाही, सीस उतारे हाथ धरे...उन साधु बाबा को सादर विदा कर दिया गया...।
साहब तो प्यार है, मुस्कान है, गीत है, संगीत है, आत्मा की प्यास है, तृप्ति है, प्रकृति की अनुपम सुंदरता है, ओज है, तेज है, प्रकाश है, पवित्रता है, दया, करूणा, क्षमा, त्याग है, देह के पार का अहसास है...

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...