यकीन मानो, निराश नहीं होओगे, फिर से जी उठोगे। ये जीवन फूलों की पगडंडियों से होकर गुजरेगी, लहकते हरी वादियों से गुजरेगी, जहां भी जाओगे साहब की दिव्य और भीनी सुवास चहुँ ओर पाओगे।
मोहब्बत ही करनी है, प्रेम ही करनी है तो धनी धर्मदास साहब और आमीन माता साहिबा की तरह कर लो, जिन्होंने सदगुरु कबीर से अनुपम और अलौकिक प्रेम किया। उस प्रेम में दिव्यता है, पवित्रता है, अध्यात्म की ऊंचाई है, परमात्मा का बोध है, जीवन की सार्थकता है।