शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018

जीवन गुजर जाए...💐

आपके शब्दों का हर अल्पविराम, हर पूर्णविराम, हरेक मात्रा, शब्दों में निहित भाव, संवेदनाएं, मनोविचार और उसकी गहराई उसी रूप में ग्रहण होती है जिस रूप में आप कहना चाहते हैं।

बात सार्वजनिक हो या व्यक्तिगत, धरती की हो या अम्बर की, तारों की हो या नक्षत्रों की... जो आप कहते हैं सब समझ में आता है। आपके सिवाय कुछ और समझ नहीं आता।

कभी सपने में भी भान नहीं था की आप इस एक जीवन में मिल जाएंगे। लेकिन अब जीवन की सार्थकता का भान होता है, आहोभाग्य का अहसास होता है। आपने हाथ नहीं थामा होता तो न जाने कहाँ जाते, न जाने किस दशा में होते, न जाने किस गर्त की ओर निकल पड़ते।

जिंदगी के रास्ते बड़े कटीले हैं, फिसलन भरे हैं, निःठुर हैं। न तो दसों इन्द्रियों का भरोसा है, न ही खुद के कर्मों का। न जाने कब रास्ते से भटक जाएं, न जाने कब फिसल जाएं। इसलिए ऐसे ही सदा हाथ थामें रहिएगा, ये जीवन आपके गीत गुनगुनाते यूँ ही गुजर जाए।

शुक्रिया आपका...💐

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...