चाहनाओं से रिश्ता उस दिन खत्म हो गया जब एक साधु ने जोरदार चोटकर जिंदगी का मूल हिला दिया। दरअसल वो पहला ऐसा संत था, जिसने कहा था कि उसने परमात्मा को देखा है। उस दिन जीवन की डोर उनको सौंपकर शरणागत हो गया।
वो अक्सर कहते थे जिंदगी जीना तो तभी आएगा जब खुद से खुद की मुलाकात होगी, एक ही मौका और एक ही जीवन है, चूकना बिल्कुल भी नहीं। अगर अख़्स पर पड़े धूल की परत हटाकर अपना असली चेहरा नहीं देख पाए, तो जीवन निर्लक्ष्य और बेकार हो जाएगा।
नाम में भीगी गहरी सांस अपने अंदर भर लो, अपने से मिलने की फुर्सत निकाल लो, जी उठो, चैतन्य हो जाओ, कुछ कदम तो उनकी ओर बढ़ाओ... उनके शब्द और उनका साथ जीवन को पल्लवित कर गए...