शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

कचरा...💐💐💐

रोज करीब दस बजे सुबह नगर निगम की गाड़ी आती है, कर्मचारी घर के बाहर सिटी बजाकर कचरे का ढेर गाड़ी में भरकर ले जाते हैं। लेकिन रोज सुबह पिछले दिन की अपेक्षा और ज्यादा कचरे का ढेर इकठ्ठा हो जाता है। समझ नही आता कि रोज इतना कचरा मेरे घर में कहाँ से पैदा हो जाता है?
घर के लोग तो बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, भौतिकवादी तो बिल्कुल भी नही हैं। हर महीने उपवास करते हैं, व्रत रहते हैं, भजन कीर्तन, सत्संग और तीर्थाटन करते हैं। फिर क्यों रोज घर का डस्टबीन भरा ही रहता है?
न जाने क्यों रास्ते उन्हीं की ओर बढ़ते हैं। उसने बहुत चाहा की सुबह दस बजे से छह बजे की नौकरी करे सुकून से, बीबी बच्चों के साथ किसी पिकनिक पर चले जाएं, लेकिन शिखर की जिम्मेदारी हमेशा अपनी ओर खींच ही लेती है...

मेरी तन्हाई 💐💐💐

तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...