वो पहला प्यार, पहली मुलाकात, पहला स्पर्श, सावन की वो पहली बारिश, छतरी ताने पेड़ के नीचे बिताए लम्हों की यादें...
वो बात अब कहाँ?
चंद लम्हों की वो मुलाकात यूँ आई और यूँ चली गयी। स्मृति बनकर रह गयी। अतीत की परछाई पीछा नही छोड़ती। मेरे अक्स का कोई टुकड़ा खो गया है...।
जिंदगी के सारे रंग बेहद रंगीन थे, जब तुम थी। आज तुम नहीं हो, सारे रंग फीके लगते हैं। अब सफेद रंग की चादर से जिंदगी ओढ़ ली है, सफेद रंग में कोई भी रंग चढ़ा लो, और भी निखर उठता है।
अभी तो तुम्हें ठीक से देखा भी नहीं था, ठीक से जाना भी नहीं था। बहुत कुछ कहना बाकी था, बहुत कुछ सुनना बाकी था। बात ही पूरी नही हुई थी अभी, आस ही पूरी नही हुई थी अभी।