रविवार, 18 मार्च 2018

यादों के पन्ने...💐💐💐


याद है..???  पहली बार जब हम मिले थे, आमने सामने बैठे थे। मैं शादी के लिए तुम्हारी रजामंदी लेने तुम्हारे घर गया था...। तब हमने एक दूसरे से वादा किया था। हम एक दूसरे का हाथ थामें सदैव उस रास्ते पर आगे बढ़ेंगे, जिस राह तीन करोड़ लोग चल रहे हैं। उस भीड़ में सबसे आगे रहने का वादा था। थककर न रुकने का वादा था, अंत समय तक साथ देने का वादा था, उस रास्ते शीश देने का वादा था, जिंदगी बलिदान करने का वादा था।
मुझे याद है वो दिन, शहनाई बजने को थी, दो हृदय मिलने को थे, सिंदूरी शाम सजने को थी, तुम्हारे द्वार बारात लेकर आने को था। सात फेरों और उन सात वचनों के साथ ही जिंदगी में तुम्हारा पदार्पण होने को था।
उन फेरों के वक्त हमने फिर से एक दूसरे को याद दिलाया और वादा लिया कि जीवन का लक्ष्य उसी रास्ते पर सदैव चलना होगा जो रास्ता संतो की शरण में जाता है, सत्संग की ओर जाता है, साहब की ओर जाता है।
शुक्रिया, मेरे हमसफ़र। शुक्रिया मेरे साथ अंतहीन रास्ते पर चलने के लिए, मेरा साथ देने के लिए, मेरे जीवन को थामने के लिए, मुझे अपनाने के लिए।

उस पहली मुलाकात की तरह आज फिर से हारमोनियम निकालो, मुझे मेरा सबसे पसंदीदा भजन सुनाओ "आमिन विनती..."

Deepakdas Deepakdas साहब और Manohar Das Konari साहब के चरणों में सादर बंदगी, जिन्होंने हमें आशीष दिया, सतमार्ग पर प्रेरित किया।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...