गुरुवार, 13 सितंबर 2018

संतजन...💐

संतो पर अपने कल्याण के साथ साथ जनकल्याण का भी अहम दायित्व होता है। जिस पल एक सामान्य व्यक्ति संतत्व धारण करता है, उसी क्षण सामाजिक दायित्व भी उसके कंधे पर आ जाती है। उसकी दृष्टि, उसके विचार विस्तृत हो जाते हैं।

चूंकि संत में विराट सत्ता का अंश समाया हुआ होता है, इसलिए वह साहब से प्राप्त, परम् सत्ता से प्राप्त अलौकिक शक्तियों का उपयोग चराचर विश्व और विराट जनसमूह के लिए करता है।

जो संत होता है वह स्वयं दुख सहकर अन्य के तकलीफों को समाप्त करता है, दूसरों के दर्द को अपना लेता है। और इसी परोपकारिता के कारण उन्हें संसार में यश प्राप्त होता है।

संतो के विषय में साहब कहते हैं:-

सरवर तरवर सन्त जन, चौथा बरसे मेह।
परमारथ के कारने, चारों धारी देह।

सप्रेम साहेब बंदगी साहेब...💐💐💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...