शनिवार, 13 जुलाई 2019

मध्यान्ह भोजन में अंडे का विरोध...💐

जीवन में ऐसे मौके नहीं आते कि वो खुद से हमें बुलाएं। हमारा परम् सौभाग्य है कि उन्होंने हमें पुकारा है, हमारे साहब ने, हमारे परमात्मा ने हमें पुकारा है। उनकी पुकार में धर्म रक्षा छुपी है, मानवता छुपी है, जनहित की भावना छुपी है। हम आने वाली नस्लों का संस्कारित जीवन देखना चाहते हैं तो उनकी आवाज को मजबूत करने के लिए हर हाल में उनके साथ खड़े होना होगा।

बच्चे तो कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। उन्हें जैसा संस्कार, खानपान, वातावरण मिलता है वो उसी में ढल जाते हैं। लेकिन हम तो विचारवान हैं, हम तो समझदार हैं, हमारा दायित्व बनता है कि हम ध्यान रखें कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के पालन पोषण और खान पान पर संस्कार के कोई गलत बीज न बो दे। इसलिए हर उस फैसले का विरोध जरूरी है जिससे हमारे आने वाले कल का संस्कार दूषित हो।

हम तैयार हैं उन बच्चों के संस्कारित भविष्य के लिए, हम तैयार हैं अनैतिकता के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए। एक दो दिन दामाखेड़ा में मजे से दाल भात खाएंगे, दोस्तों से मिलेंगे और साहब का दीदार करेंगे, एक सेल्फी ले लेंगे। ऐसा अवसर भला कौन चूकना चाहेगा।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...