शनिवार, 15 जून 2019

चरणों में लिपटे रहने देना...💐

अजीब तन्हाई है, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आता। लोगों के स्वभाव भी बिल्कुल उल्टे और अटपटे से लगते हैं, मानों मैं आम मानव जीवन के बिल्कुल उलट जी रहा हूँ। लगता है जैसे लोग नदी की धारा के साथ बह रहे हैं और मैं नदी की धारा के विपरीत सफर कर रहा हूँ।

संसार और जीवन को देखने की दृष्टि और नजरिया नितांत अलग और जुदा सा है। उन्हें खाने कमाने से फुर्सत नहीं और मुझे साँसों की आती जाती लहरों में डूबने उतरने से फुर्सत नहीं।

बड़ी अनोखी मनोस्थिति है। कभी खामोशी बोलती है, तो कभी शोर भी मौन और खामोश लगता है। यहाँ से सबकुछ बड़ा विचित्र लगता है। कुछ समझ नहीं आता क्या करूँ, कहाँ जाऊँ, किसे दिल का हाल सुनाऊँ? कोई मेरे जैसा भी तो नजर नहीं आता।

हे प्रभु जैसे भी हो आपके चरणों में लिपटे रहने देना, हाथ मत छोड़ना। वरना नदी के तेज बहाव में बह जाऊँगा...💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...