सोमवार, 19 अगस्त 2019

पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब की छाप...💐

दोस्तों, कभी कभी फेसबुक पर पंडिताई कर लिया करता हूँ। फेसबुक पर लिखकर मन की भड़ास निकाल लिया करता हूँ। मेरे लिखे शब्दों को ज्यादा सीरियस न लिया करें। क्योंकि सिर्फ "लिखना" और "जीकर लिखने" में फर्क होता है, और मैं सिर्फ लिखता हूँ।

कुछ मित्रगण कहते हैं कि मेरे शब्दों में पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब की भीनी खुशबू आती है। दरअसल मेरे लेख में नया कुछ नहीं है। मेरे लेख में जो भी शब्द होते हैं, जो भी भाव होते है, वो पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब के अजर अमर ग्रंथ "अमृत कलश" से प्रेरित होते हैं। इसलिए शब्दों के भाव हृदय को छूते हैं, इसलिए शब्दों के भाव में हर कोई अपने को जोड़ लेता है।

पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब के व्यक्तित्व की शैली ही अनूठी थी, हर कोई उनसे अपना रिश्ता जोड़ लेता था, हर कोई उनके आकर्षक में बंध जाता था। मेरा बचपन उन्हीं की कहानियां सुनते हुए बीता, जवानी उन्हें ही पढ़ते हुए बीती। अतः मेरे लेख पर, जीवन और अस्तित्व पर उनकी छाप स्वाभाविक ही है।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...