रविवार, 13 नवंबर 2022

ये जीवन है ...💐

साहब की यह सृष्टि उनकी अनुपम कृति है। हर पल कहीं किसी जीवन का अंत होता है तो कहीं किसी जीवन का नवप्रस्फुटन होता है। ऋतुओं के अनुसार पतझड़ आने पर पेड़ो के पुराने और सूखे पत्ते झर जाते हैं तो वहीं बसंत आने पर वो पेड़ फिर से नए पत्तों और फूलों से लहलहा उठते हैं। साहब फिर से अपनी हरितिमा प्रकृति में चारों ओर बिखेर देते हैं।

देह का अंत और नवप्रस्फुटन के बीच का हिस्सा ही है जिसे जीवन कहते हैं। देह के अंत को जीवन की पूर्णता कहा जाता है। इसी के बाद तो वह क्षण आता है, वह पल आता है जब पूण्य आत्माओं की मुक्ति होती है। आज वह क्षण आ गया। साहब का वह अंश साहब में चिरकाल के लिए विलीन हो गया।

साहब की सृष्टि का यही रीत है, यही गीत और संगीत है। प्रेम पुष्प अर्पित करें, उनका धन्यवाद करें, उनकी मधुर स्मृतियों को अपने हृदय में बसाकर उन्हें अनंतकाल के लिए विदा करें।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...