देह का अंत और नवप्रस्फुटन के बीच का हिस्सा ही है जिसे जीवन कहते हैं। देह के अंत को जीवन की पूर्णता कहा जाता है। इसी के बाद तो वह क्षण आता है, वह पल आता है जब पूण्य आत्माओं की मुक्ति होती है। आज वह क्षण आ गया। साहब का वह अंश साहब में चिरकाल के लिए विलीन हो गया।
साहब की सृष्टि का यही रीत है, यही गीत और संगीत है। प्रेम पुष्प अर्पित करें, उनका धन्यवाद करें, उनकी मधुर स्मृतियों को अपने हृदय में बसाकर उन्हें अनंतकाल के लिए विदा करें।
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