गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

चहुँओर साहब की अनुभूति...💐

धड़कते हृदय की धकधक आवाज हो या रग रग में बहते खून की धार हो। कम्प्यूटर के कीबोर्ड की ध्वनि हो या दूर से आती डीजे की आवाज हो। कदमों का पदचाप हो या घड़ी की सुइयों की टिक टिक हो। बारिश की फुहार हो या मेघों का गर्जना हो। मंदिर के घंटियों की मधुर आवाज हो या झरझर नदियों की उज्ज्वल धार हो।

बहती हवा की सरसराहट हो या पंछियों का मधुर गान हो। साँसों की अविरल बहती सरिता हो या फूलों की मनभावन मुस्कान हो। जलते दीए का प्रकाश हो या चाँदनी रात की उजली अंधियार हो। भोर की लालिमा हो या शाम का मध्यम प्रकाश हो। ओस की नन्ही बूंदो से सनी हरी घांस हो या नवप्रस्फुटित पौधों का अंकुरण हो। हृदय का ख़ुशनुमा अहसास हो या सरोवर में कोपलें फैलाती कुमुदिनी का दल हो। 

जीवन की हर आवाज में वही होते हैं, धरती के हरित श्रृंगार में वही होते हैं। जहां तक नजरें जाती हैं, वहां तक उनकी ही मनमोहक छवि नजर आती है। दसों दिशाओं में उनकी मौन उपस्थित दृष्टिगोचर होती है। धरती और अम्बर का कोना कोना उनके गीत गाते हैं। साहब की प्रत्यक्ष उपस्थिति का दर्शन कराते हैं।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...