शुक्रवार, 15 जुलाई 2022

साहब की अलौकिक कृति ...💐

ओह....इतनी सुंदर दुनिया, ऐसे खूबसूरत नजारे, हरे भरे और चहचहाते जीव जगत, रहस्यों से भरे ग्रह, तारे और नक्षत्र। सुदूर तक फैला स्वच्छ, गहरा और नीला आकाश। स्वछन्द बहती जलधारा और पुरवाई, खेतों की लहलहाती फसलें, बच्चों की तुतली बोली और निर्झर मुस्कान, माँ की ममता, हरेक जीव की धड़कनों में संचरित प्यार का लयबद्ध मधुरतम संगीत। भोर और गोधूलि बेला पर आसमान में छाई लालिमा, प्रत्येक क्षण एक नए अंकुर का प्रस्फुटन और विघटन ...

इतनी सुंदर दुनिया ... क्या ये सब साहब की कृति है? मंत्रमुग्ध और अभिभूत कर देने वाले ये नजारे, धड़कनों को झंकृत कर देने वाली दिव्य आवाजें ... विस्मयकारी, सीमाओं से परे, विराट, विस्तृत और अप्रतिम सुंदरता से आह्लादित ब्रम्हांड साहब की ही कृति है?

विदाई से पहले आपको जीभरकर निहार लूँ, आपकी कृतित्व का आनंद उठा लूँ। अगली बार फिर मेरी जिंदगी में आ जाना, अपनी इस खूबसूरत रचना का फिर से परिचय करवाना।

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