गुरुवार, 15 मार्च 2018

ग़ुलाल उत्सव...💐💐💐


गुलाल उत्सव के दिन दामाखेड़ा चलने की सुबह से तैयारियां चल रही थी। कुछ लोगों का झुंड पास के ही गांव बुचिपार में ही ठहरा हुआ था। बसंत पंचमी की उस ऐतिहासिक दिन सूर्योदय के साथ ही पंथ श्री उदित मुनिनाम साहब के प्रकट होने की भाव विभोर और हृदय को पुलकित करने वाली खबर मिली।

एक दिन पहले ही आरती के वक्त साहब Manohar Das Konari ने सोलहवाँ वंशाचार्य के प्रकट होने की खबर दे दी थी। लोगों के उस घुमंतू झुंड ने बसंत पंचमी और गुलाल उत्सव एक दिन पहले ही मना लिया था। प्रकट उत्सव की शुभ बेला में उस गाँव के घर की नींव रखी गई थी, जहां वो अद्भुत लोग ठहरे हुए थे। देर रात तक भावी वंशाचार्य के जीवन पर चर्चाएँ होती रही।

दिन चढ़ने के साथ सब लोग दामाखेड़ा पहुँच चुके थे, त्यौहार मनाया गया, बरसों की प्रतीक्षा फलीभूत हुई, परमात्मा का इस प्यासे धरती पर अवतरण हुआ था। मानव तन में उनकी मुखाकृति, बालपन, मासूमियत और ओज देखते ही बनता है। जब सामने आते हैं, नजरें हटती ही नही हैं।

वो ऐतिहासिक दिन अब भी स्मृति में है। साहब के चरणों का गुलाल उस दिन माथे पर लगा लिया था, तब से माथे की लकीरें और किस्मत बदल गयी।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...