फिर भी जब कभी अकेले होता हूँ तो मन इन्हीं कल्पनाओं में खो जाया करता है कि अगर साहब सच मे कभी मिल गए तो जिद कर करके इन प्रश्नों को उनसे पूछूँगा। बिना उत्तर दिए उनके चरण नहीं छोडूंगा।
सोमवार, 11 जुलाई 2022
उलझे प्रश्न ...💐
मन में अनेकों प्रश्न आते हैं जिनका उत्तर धरती के किसी भी इंसान के पास नहीं मिलता। जो उत्तर मिलते भी हैं तो मन को संतुष्ट नहीं करता। ये प्रश्न बड़े अजीबोगरीब हैं, ऐसे प्रश्न अक्सर छोटे बच्चे पूछा करते हैं। सीधे साहब से पूछने की हिम्मत नहीं होती, पूछते हुए झिझक होती है। जिन्होंने ये सुंदर जगत रचा हो, जिनके इशारों पर ब्रम्हांड गुंजायमान हो, उनसे भला क्या पूछूँ, कैसे और किन शब्दों में पूछूँ?
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी तन्हाई 💐💐💐
तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...
-
सुख और दुख हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। जैसे चलने के दायां और बायां पैर जरूरी है, काम करने के लिए दायां और बायां हाथ जरूरी है, चबाने ...
-
जो तू चाहे मुझको, छोड़ सकल की आस। मुझ ही जैसा होय रहो, सब सुख तेरे पास।। कुछ दिनों से साहब की उपरोक्त वाणी मन में घूम रही थी। सोचा उनके जैस...
-
पान परवाने का मोल तब समझा जब जिंदगी तबाह होने के कगार पर थी, साँसे उखड़ने को थी। जीवन के उस मुहाने पर सबकुछ दांव पर लगा था, एक एक पल युगों के...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें