सोमवार, 29 जुलाई 2019

मेरे गुरु...💐

जिंदगी में ऐसे अनेक लोग मिलते हैं जिनसे हम प्रभावित होते हैं। जीवन में उनका आगमन होते ही जीने का उद्देश्य और जीवन को देखने का नजरिया ही बदल जाता है। वो सोच में आमूलचूल परिवर्तन के संप्रेषक सिद्ध होते हैं।

जीवन की नैया जब हिचकोले खा रही थी तब मुझे ऐसे ही किसी व्यक्ति का साथ मिला। जिन्होंने जीवन के सारे भेद, सारे रहस्यों से रूबरू कराया। जिन्होंने मुझे दामाखेड़ा का मार्ग बताया, हाथ पकड़कर साहब की ओर चलना सिखाया, परमात्मा से मिलाया। दरअसल वो एक संत और मेरे पहले आध्यात्मिक गुरु हैं।

हम सुनते और मानते हैं कि योग्य शिष्य को गुरु के चरणों में सर्वस्व अर्पित कर देना चाहिए, उसे गुरु को सेवा करनी चाहिए। लेकिन मेरे गुरु ने मेरी सेवा की, अपने शिष्य की सेवा की। मेरे लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया, मेरे हाथ पैरों की मालिश की, मेरे आंसू पोछे, अपने बच्चे की तरह दुलार दिया, परिवार और समाज के ताने सुने, मेरे लिए रात रातभर रोया, मुझे सवारने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया।

मेरे लिए उनका प्यार बड़ा गहरा है। मैं आजतक समझ नहीं पाया कि उन्होंने मुझमें ऐसा क्या पाया कि जीवन और जीवन का सबकुछ मुझ पर उढेल दिया। उनके उपकार का वर्णन करने को शब्द नहीं हैं। उनके चरणों में बंदगी के अलावा कुछ और समर्पित करने में अपने को असमर्थ पाता हूँ।

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जलन...💐

जब कोई संत कहते थे कि उन्होंने जो कपड़े पहने हैं वो साहब के पहने हुए कपड़े हैं, तो उस संत से जलन होने लगती थी, उनके कपड़े अनेकों बार छूकर देखता था, उनसे बार बार पूछता था कि सच में ये कपड़े साहब के हैं?

जब कोई संत कहते थे कि साहब के लिए कपड़े सिल रहा हूँ, तो उनसे जलन होने लगती थी। उन संत के किस्मत पर जलता भुनता था और मन ही मन सोचता था कि इस दाढ़ी वाले बाबा में ऐसा क्या खास बात है कि साहब इन्हें अपने कपड़े सिलाई के लिए देते हैं।

जब कोई कहता था कि मेरे घर साहब का महाप्रसाद रखा है, साहब का बचा खाना रखा है, तो उससे जलन होती थी। वो महाप्रसाद हाथों में लेकर देर तक देखता था और सोचता था कि क्या साहब इस तरह का खाना खाते होंगे।

वो लोग जिन्हें साहब के कपड़े अपने तन पर ओढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होता है, वो लोग जिन्हें साहब के कपड़े सिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है, वो लोग जिन्हें साहब का महाप्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त होता है, जलन होती है।

जानता हूँ साहब सिर्फ मेरे नहीं हैं, जानता हूँ साहब से प्यार केवल मुझे ही नहीं है, और यह भी जानता हूँ साहब जन-जन के हैं, उनसे प्यार करने का सबको बराबर अधिकार है। लेकिन पता नहीं क्यों हर उस व्यक्ति से जलन होती है जिनके पास साहब की कोई वस्तु हो।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...