सोमवार, 11 जुलाई 2022

गुरुवाई ...💐

मैंने विगत दिनों एक पोस्ट लिखा था कि पंथ श्री उदितमुनि नाम साहब और प्रखर प्रताप साहब को वंश गद्दी की जिम्मेदारियों से मुक्त रखा जाए और पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब और डॉ. भानुप्रताप साहब जब तक इस धरा पर सशरीर हैं तब तक वंशगद्दी का कार्य संभालतें रहें।

यह लेख लिखते हुए मेरे मन में सुनी सुनाई और आधी अधूरी बातें चल रही थी जैसे कि वंशगद्दी की गुरूवाई सौंपकर पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब और डॉ. भानुप्रताप साहब देहत्याग कर सत्यलोक चले जाएंगे।

कल दिनांक 16 मार्च 2022 फाल्गुन पूर्णिमा संत समारोह के मंच से साहब ने अपने उद्बोधन में इस पर थोड़ी चर्चा की। जहाँ तक उनके उद्बोधन का सारांश समझ सका, उसके अनुसार वंशगद्दी अथवा गुरूवाई का ट्रांसफर "मात्र औपचारिक" ही होता है, यह तो साहब की व्यवस्था का हिस्सा होता है। इसमें शरीर त्याग जैसी कोई बात नहीं होती। साहब तो हमारे बीच सदा रहेंगे ही, बल्कि इससे तो हम सभी लाभान्वित ही होंगे। 

आने वाली पीढ़ी का चादर तिलक होने से हमें दो की जगह चार गुरु मिल जाएंगे, उनका कार्य क्षेत्र बढ़ जाएगा, अधिक से अधिक लोगों तक, उनके भक्तों तक, हरेक आंगन तक उनकी पहुँच होने लगेगी। 

हर कबीरपंथी चाहता है कि उनके आंगन में साहब के चरण पड़े, भले ही दो मिनट के लिए ही सही उनके दर्शन और बंदगी मिले, पान परवाना मिले, उनकी बरसों और जन्मों की प्रतीक्षा सार्थक हो, जीवन धन्य हो। ऐसे में हमें चार गुरु मिल जाएं तो कितना आनंद आएगा, सोचकर ही हृदय गदगद हो उठा है।

साहब से यह सब सुनकर, समझकर आज मन बहुत आनंदित है, साहब ने मेरी दुविधा बड़ी ही सहजता से दूर कर दी। अब तो चाहता हूं कि जल्द से जल्द भावी पीढ़ी को भी गुरूवाई प्रदान किया जाए ताकि हम सभी लोग लाभान्वित हों।

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