मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

जीवन में आप न मिलते तो ...💐

जीवन में आप न मिलते तो न जाने किस रास्ते भटक जाते, भीड़ में कहीं खो जाते, अपने आप से ही बिछड़ जाते। आपका लखाया नाम ही है, आपका दिया पान परवाना और प्रसाद ही है, आपका चरणामृत ही है, जिसके माध्यम से जीवन को सही दिशा मिली। आपके चरणों में शीश झुकाते ही यह मानव जीवन मानो जाग उठा, यह जीवन सार्थक हुआ।

मेरी खोज को अगर आप सही दिशा न देते, मुझ पर अपनी अनंत कृपा न बरसाते, मुझे न अपनाते तो जीवन यूं ही बेमतलब गुजर जाता। जानता हूँ जीवन के इस उबड़ खाबड़ और ढलान भरी पगडंडियों में आपने मेरी उंगली पकड़ रखी है, हमसफर की तरह साथ जीते हैं, मुझे संभालते और संवारते हैं, मेरे साथ परछाई की तरह मुझमें ही कहीं रहते हैं। तभी तो आपके नाम की खुशबू से जीवन का कोना कोना महक रहा है।

अपनी अनुभूतियों के खूबसूरत लम्हों से मेरा संसार सजाने, मुझे मुझसे ही मिलाने, अपने विराट स्वरूप का दर्शन कराने, इस मानव तन में परमात्म तत्व का साक्षात्कार कराने के लिए आपका शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया साहब। जीवन की अंतिम घड़ी भी आपके चरणों में ही गुजरे। आपके चरणों में बंदगी, सप्रेम साहेब बंदगी ...💐

मौन की मधुरिमा...💐

भावनाओं को बयान करने के लिए उचित शब्दों का चयन, सोच विचारकर कहना जरूरी नहीं होता। सीधे, सहज, सरल और सपाट बोली में कहे गए मनोभाव ज्यादा प्रभावशाली होते हैं। कभी कभी तो मौन की बोली उससे भी कहीं अधिक श्रेयस्कर और सीधे हृदय तक पहुचने वाली होती है।

संतजन कहते हैं कि ध्यान की पहली सीढ़ी मौन है। मौन की मधुरिमा में ही सुमिरन और ध्यान के फूल खिलते और पल्लवित होते हैं। ऐसा कहा भी जाता है कि जिसने मौन की महत्ता समझ ली, आचारचर्या में उतार ली, उसने जीवन की आधी समस्याओं को जीत लिया। मौन वह अस्त्र है जो प्रतिकूल परिस्थिति रूपी शत्रु को भी परास्त कर दे।

मौन होने का अर्थ चुप अथवा खामोश होना नहीं है। मेरी नजर में साहब की वाणी अनुसार मौन का अर्थ है - "तन थिर, मन थिर, वचन थिर, सुरति निरति थिर होय।"

ऐसा मौन हम सबके जीवन में अंकुरित हो। ऐसे मौन की दिव्य सुगंध से हमारी दिनचर्या का पल पल आह्लादित हो, पुलकित हो, सुवासित हो।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...