बुधवार, 21 अगस्त 2019

आँसुओ में व्यक्त...💐

जो इन्द्रियातीत है उसका वर्णन तो प्रतीक चिन्हों से ही हो सकता है, इशारों से ही हो सकता है। क्योंकि हमारी भाषा के पास उन चीजों के लिए शब्द ही नही है, हमारे मस्तिष्क और ज्ञान चक्षुओं के पास इतनी समझ ही नहीं है कि वो इन्द्रियो से परे की बातों को कह सके, जाहिर कर सके।

अब सवाल यह पैदा होता है कि जो उस परम सत्ता परमात्मा का वर्णन कर रहा है, उन्होनें खुद उसकी झलक पाई है या नही। लेकिन इस दुनिया मे जिसे देखो वही ऐसा व्यवहार करता है जैसे की वह सर्वज्ञ हो, जैसे कि वह परमात्मा के बारे में सब कुछ जानता हो, जैसे कि उसे सारी सृष्टि की जानकारी हो।

परमात्मा की बनाई सृष्टि, उनकी हर रचना, उनकी प्रत्येक कृति अबूझ रहस्यों से भरी पड़ी है। वो अज्ञात है, अज्ञेय है, अनादिकाल से परदे के पीछे छिपा है। जो अज्ञेय हो, उनके विषय में क्या कहा जाए और कैसे कहा जाए? जिसने भी उनका हल्का स्पर्श पाया, सिर्फ आँसुओ में व्यक्त कर पाया...

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...