शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

कबीरपंथ का संस्कार...💐

कबीरपंथियों की शिक्षा का पहला सूत्र ही शाकाहार और अहिंसा रही है। हमारी पीढ़ियाँ शाकाहारी रही है, हम शाकाहार हैं और अपने बच्चों में किसी भी कीमत पर मांसाहार की प्रवृत्ति नहीं पनपने देंगे। अपने नौनिहालों को कबीरपंथ की अमूल्य सभ्यता, संस्कृति और मुल्यों से दूर नहीं जाने देंगे।

साहब समाज के हित के लिए जीते हैं, जनकल्याण के लिए जीते हैं, मानवीय संस्कृति और अहिंसा अपनाने की बात कहते हैं। तेरा मेरा का भाव छोड़कर, जाति पाति का भेद छोड़कर, ऊंचनीच की मर्यादा लांघकर, राज्यों, प्रान्तों, क्षेत्र की सीमाओं को लांघकर, धर्म और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर एकता और मानवता का पाठ पढ़ाते हैं।

हम सभी कबीरपंथी अगर संगठित रहें और साहब की हर आज्ञा का समय पर पालन करें तो सरकार को झुकना ही होगा। कोई बुरी नजर से कबीरपंथ के संस्कार और संस्कृति की तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकता। परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, हमें हर हाल में संगठित रहना होगा। हमें अपने साहब के साथ हर हाल में खड़े रहना होगा।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...