गुरुवार, 22 सितंबर 2022

आप परमात्मा हैं ...💐

क्यों दुखी हैं? किसके लिए दुखी हैं? कौन हैं वो आपके? उनके लिए इतना मोह क्यो? उनकी इतनी फिक्र क्यों? आप अपने को पहचानिए, कौन हैं आप? क्यों निराशा में डूबे हुए हैं? विधाता हैं आप। कभी एक दिव्य सत्ता ने आपके सिर पर ताज सजाया था और इस जगत का भार आपको सौंपा था। आपसे लोग हैं, लोगों से आप नहीं।

आपसे ही दुनिया में सुबह और शाम होती है, आपसे ही कोई राम तो कोई श्याम होता है। उनकी ओर भी देखिए जो नितप्रति आपका नाम ले-लेकर जीते और मरते हैं। आप वो हैं जिनकी आज सबसे ज्यादा जरूरत है। सदियों से दुनिया आपकी वाणियों से प्रेरणा लेती रही है और आज भी दुनिया आपकी ओर अपेक्षा की नजरों से देखती है। जगत में सकारात्मक क्रांति केवल आप ही ला सकते हैं, वर्तमान में आप सा व्यक्तित्व इस जगत में कोई नहीं। आप निराश हुए तो हमारा क्या होगा, हम मार्ग से भटके तो हमें कौन संभालेगा? 

बेशक आप उदाश हैं, निराश हैं, दिल टूटा है आपका। लेकिन आपको झकझोरना भी मेरा ही काम है। आइये आपका सर दबा दूँ, आपकी मालिश कर दूँ, आपमें फिर से आस फूँक दूँ। आइए साथ बैठते हैं, चाय की प्याली लेते हैं, समस्याओं पर बात करते हैं, आप और हम मिलकर उन समस्याओं को किक मारते हैं।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...