रविवार, 21 जुलाई 2019

बात करो, बात करने से बात बनती है...💐

बात करो, बात करने से ही बात बनती है, रास्ता निकलता है। हर मुद्दे पर मर्यादित रहकर सार्थक चर्चा जरूर होनी चाहिए। अनेक मुद्दे हो सकते हैं जिसे लेकर हम सहमत और असहमत होते हैं। ये मुद्दे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक अथवा मानवीय से संबंधित कुछ भी हो सकते हैं।

एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप, व्यर्थ और अनर्गल तर्क अथवा कुतर्क से चर्चा का विषय भटक जाता है। इसलिए चर्चाओं को हार-जीत अथवा आत्म सम्मान की भावना से परे रखना भी अति आवश्यक है। चर्चाओं का केंद्र बिंदु और उद्देश्य व्यक्तिगत हित न हो बल्कि वह जनसमूह की संवेदना पर आधारित हो, उसमें जनकल्याण का हित छुपा हो।

वैचारिक क्रांति से ही तो समाज को दिशा मिलती है, जन आकांक्षाओं की जानकारी मिलती है, मार्ग मिलता है। इसलिए लगे रहो और दिमाग को दौड़ाते रहो। बिना हिचक के सकारात्मक सामाजिक और वैचारिक बदलाव का हिस्सा बनिए।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...