फेसबुक में अब तक पोस्ट किए गए लेखों के अलावा भी साहब के प्रति मेरे विचार, मेरे मनोभाव, उनके प्रति मेरा प्रेम, उनके प्रति मेरी नाराजगी तथा उनसे संबंधित करीब 100 से अधिक लेख लिख रखा हूँ।
साहब तक पहुंचने में जीवन खप गया, रास्ते में अनेकों कष्ट मिले, कुछ लौकिक तो कुछ अलौकिक आनंद भी मिले। सफर के हर एक पल को मैंने लिख रखा है। सोचता हूँ वो सब आप सबके समक्ष रखूं।
चूंकि मुझे साहब भी पढ़ते हैं, इसलिए डर और संकोच होता है कि कहीं मेरे भाव मर्यादा क्रास न कर जाए। मैं उन्हें किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता।
मेरे लेखों में आप अल्हड़ता पाएंगे, बहती नदी की धुन सुनेंगे, बारिश सी प्रेम की फुहार में भीगेंगे, उड़ते पतंग की मदमस्ती महसूस करेंगे। अहंकार, चिंता, डर, उदासी, अकेलापन पाएंगे। साहब को जिए गए पल पल की अनुभूति करेंगे, उनके प्रति मेरे हृदय के भाव, उमंग, आशा, उत्सव के रंगों में आप भी रंग जाएंगे।
जो मन में विचार, भाव आते हैं उन्हें उसी रूप में लिख देता हूँ। किसी विद्वान, साहित्कार, लेखक, ज्ञानी की भांति अपने मनोभावों को प्रगट करना नहीं आता, न ही दोहा चौपाई, साखी शब्द की समझ है।
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