रविवार, 27 मार्च 2022

साहब मिलेंगे ...💐

वर्ष 2014, दिन तारीख याद नहीं। मेरे गांव में साहब का दिव्य आगमन होने को था। साहब के आगमन की इस अभूतपूर्व बेला में अनेक रिश्तेदारों और संतों का गांव की मेरी झोपड़ी में आगमन हुआ था। तब मैं भी रायपुर से अपने पैतृक गांव सपरिवार पहुंच चुका था। उस हल्की ठंडी शाम के समय में एकांत की तलाश में मैं तालाब किनारे जाकर अकेले बैठा था। तभी सभास्थल से लाउडस्पीकर पर किसी ने साहब का प्रवचन सुनाया, जो सदा के लिए जेहन में बैठ गया। जिसका सारांश कुछ इस तरह का है:-

जब हम बीमार होते हैं तो डॉक्टर के पास जाते हैं। डॉक्टर बीमारी पहचानकर एक पर्ची पर दवाइयां लिखता है। उस पर्ची में दवाई का नाम, सेवन विधि लिखी होती है। उस पर्ची में लिखी दवाइयों को विधिपूर्वक सेवन करने से हम उस बीमारी से अवश्य मुक्त हो जाएंगे, स्वस्थ हो जाएंगे। लेकिन अगर हम दवाइयों का सेवन न करके पर्ची लेकर नाचते फिरें की दवाई मिल गई-दवाई मिल गई, तो हम कभी स्वस्थ नहीं होंगे।

इसी तरह साहब से दीक्षा मिल जाए, सत्यनाम रूपी दवाई मिल जाए, बूटी मिल जाए और हम उसे साँसों में धारण न करें, सिर्फ नाचते फिरें की सारनाम मिल गया-सारनाम मिल गया, तो हमारे दुख कैसे दूर होंगे, अस्तित्व पर फैली बुराइयां कैसे दूर होंगी, साहब भला कैसे मिलेंगे।

अगर साहब को जीना है तो उस जड़ी को, उस सारनाम को, सत्यनाम को साँसों के माध्यम से नस नस में उतार लेना होगा। हमें मुक्ति अवश्य मिलेगी, जीवन में साहब का दिव्य प्रकाश होगा, साहब अवश्य मिलेंगे।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...