शनिवार, 31 अगस्त 2019

साहब की खोज...💐

मन में हजारों प्रश्न थे, अनेकों जिज्ञासाएं थी। एक ही घण्टे में सारे प्रश्नों के उत्तर जान लेना चाहता था। जो मिलता उसी के पैर पकड़ लेता, पूछता... क्या आपने परमात्मा को देखा है? मुझे भी परमात्मा से मिला दो, मुझे भी उनके दर्शन करा दो भले ही ये जीवन ले लो। लेकिन ऐसा कोई नहीं मिला जो मेरा हाथ परमात्मा के हाथ में थमा दे।

न जाने कितने ही किताबों और ग्रंथों के पन्ने पलटे, न जाने कितने ही मंदिरों की घंटियां बजाई, न जाने कितने ही आंसू बहाए। परमात्मा की खोज में दर दर की ठोकरें खाई, रात रात भर भूखे प्यासे तन्हाई में गुजारी। उनकी खोज में जिंदगी का कतरा कतरा तिनका तिनका झोंक दिया, फिर एक दिन होश हवास भी खो बैठा। खोज ऐसी, लगन ऐसी की परमात्मा के बदले हर कीमत चुकाने को तैयार...।

धीरे धीरे उदासी और हताशा हावी होने लगी, सारी आशाएं निराशा में बदलने लगी। अश्रु धारा रोके नहीं रुकते...। कुछ समझ नहीं आता, परमात्मा तक पहुंचने का कोई मार्ग नहीं सूझता। तंग आकर सबकुछ छोड़ दिया, अपने को कमरे में बंद कर लिया। साहब की तस्वीर बांहों में लेकर कई दिनों तक रोता रहा। प्रण था कि जब तक साहब तस्वीर से बाहर नहीं निकलते तब तक मैं कमरे से बाहर नहीं निकलूंगा।

आज पीछे पलटकर देखता हूँ, सफर की यादें....। सांसे महक उठी हैं, वीरान जिंदगी में उन्होंने अपनी लालिमा भर दी है, पतझड़ और रेगिस्तान में रंग बिरंगे फूल खिला दिए, अपने उजले और विहंगम स्वरूप से परिचय करा दिए। जी चाहता है उन्हीं के लिए जिऊँ और उन्हीं के लिए मरूँ...

गुरुवार, 22 अगस्त 2019

स्वतः संस्कार...

पत्नी रोज शाम होते ही अगरबत्ती जलाकर संध्यापाठ के शब्दों को दुहराती रहती है। विगत दस बरसों से रोज नित्य रूप से यही क्रिया अनवरत जारी है। उसे कुछ समझ आए या न आए लेकिन प्रतिदिन हर हाल में किसी कठोर व्रत की तरह नियमपूर्वक संध्यापाठ और आरती करती ही है।

बड़े लंबे समय से उसके इस नियम का घोर विरोधी रहा हूं। लेकिन एक दिन देखा की मेरे दोनों बच्चे भी संध्या पाठ और आरती में शामिल हो रहे हैं, ग्रंथों को आदर दे रहे हैं, सहजता से संस्कारित हो रहे हैं, स्वतः ही दीक्षित हो रहे हैं। तब से पत्नी के इस कठोर नियम का मैं भी समर्थक हो गया।

लेकिन बड़े दुख की बात है कि पिछले दस बरसों से मेरी गाड़ी संध्यापाठ के पहले पन्ने से ही आगे नहीं बढ़ सकी है।

बुधवार, 21 अगस्त 2019

आँसुओ में व्यक्त...💐

जो इन्द्रियातीत है उसका वर्णन तो प्रतीक चिन्हों से ही हो सकता है, इशारों से ही हो सकता है। क्योंकि हमारी भाषा के पास उन चीजों के लिए शब्द ही नही है, हमारे मस्तिष्क और ज्ञान चक्षुओं के पास इतनी समझ ही नहीं है कि वो इन्द्रियो से परे की बातों को कह सके, जाहिर कर सके।

अब सवाल यह पैदा होता है कि जो उस परम सत्ता परमात्मा का वर्णन कर रहा है, उन्होनें खुद उसकी झलक पाई है या नही। लेकिन इस दुनिया मे जिसे देखो वही ऐसा व्यवहार करता है जैसे की वह सर्वज्ञ हो, जैसे कि वह परमात्मा के बारे में सब कुछ जानता हो, जैसे कि उसे सारी सृष्टि की जानकारी हो।

परमात्मा की बनाई सृष्टि, उनकी हर रचना, उनकी प्रत्येक कृति अबूझ रहस्यों से भरी पड़ी है। वो अज्ञात है, अज्ञेय है, अनादिकाल से परदे के पीछे छिपा है। जो अज्ञेय हो, उनके विषय में क्या कहा जाए और कैसे कहा जाए? जिसने भी उनका हल्का स्पर्श पाया, सिर्फ आँसुओ में व्यक्त कर पाया...

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सोमवार, 19 अगस्त 2019

पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब की छाप...💐

दोस्तों, कभी कभी फेसबुक पर पंडिताई कर लिया करता हूँ। फेसबुक पर लिखकर मन की भड़ास निकाल लिया करता हूँ। मेरे लिखे शब्दों को ज्यादा सीरियस न लिया करें। क्योंकि सिर्फ "लिखना" और "जीकर लिखने" में फर्क होता है, और मैं सिर्फ लिखता हूँ।

कुछ मित्रगण कहते हैं कि मेरे शब्दों में पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब की भीनी खुशबू आती है। दरअसल मेरे लेख में नया कुछ नहीं है। मेरे लेख में जो भी शब्द होते हैं, जो भी भाव होते है, वो पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब के अजर अमर ग्रंथ "अमृत कलश" से प्रेरित होते हैं। इसलिए शब्दों के भाव हृदय को छूते हैं, इसलिए शब्दों के भाव में हर कोई अपने को जोड़ लेता है।

पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब के व्यक्तित्व की शैली ही अनूठी थी, हर कोई उनसे अपना रिश्ता जोड़ लेता था, हर कोई उनके आकर्षक में बंध जाता था। मेरा बचपन उन्हीं की कहानियां सुनते हुए बीता, जवानी उन्हें ही पढ़ते हुए बीती। अतः मेरे लेख पर, जीवन और अस्तित्व पर उनकी छाप स्वाभाविक ही है।

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रविवार, 18 अगस्त 2019

उनकी राह में जीवन खप जाए...💐

कई चीजें निःशब्द ही दी और ली जाती हैं। आशीर्वाद, कृपा, उपकार जैसे शब्द उनमें से एक हैं, जिन्हें निःशब्द लिया और दिया जाता है। फेसबुक के किसी पोस्ट पर साहब का लाईक या कमेंट उनके निःशब्द आशीर्वाद और कृपा की तरह हैं। जो समय समय पर हमें प्राप्त होते रहा है।

फेसबुक पर उनका लाईक और कमेंट विटामिन की गोलियों की तरह सकारात्मक असर पैदा करती है, जो जीवन को सीधे और प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। उनके लाइक और कमेंट से प्रेरणा मिलती है, कुछ कदम उनकी ओर और बढ़ाने की ताकत मिलती है। संस्कारों का परिष्करण होता है, जिससे जीवन जाग उठता है, दिनचर्या में ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। उनके छुअन से अस्तित्व महक उठता है। ध्यान उनकी ओर लगे रहता है।

मेरे फेसबुक पोस्ट पर उनका लाईक और कमेंट जीवन भर की जमा पूंजी है। जिन्हें अनेकों बार पढ़ता हूँ, उनके शब्दों को जीवन में गढ़ता हूँ, उन्हें जीने की कोशिश करता हूँ। लाईक और कमेंट रूपी उनकी कृपा, और महाप्रसाद मुझे निरंतर निःशब्द रूप में प्राप्त हो रहा है।

आंसुओं को शब्दों में बयान करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। लेकिन उनसे कहना चाहता हूं की उनकी प्रतीक्षा में जीवन ढल जाए, उनकी राह में जीवन जर जाए, उनके चरणों में जीवन खप जाए...

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शनिवार, 17 अगस्त 2019

साहब की सहजता...💐

सामान्यतः किसी रिश्तेदार के घर जाते हैं तो चाय ऑफर किया जाता है। अक्सर हम झिझकते हुए चाय पीने से मना करते हैं। जिद होने पर आखिरकार चाय की प्याली उठा ही लेते हैं। अपने घर में रोज कई बार चाय पीते हैं तब मना नहीं करते। परिस्थिति जरा सी क्या बदली हम हिचकने लगते हैं, हम असहज हो जाते है।

किसी संत ने कहा था कि सहजता तब होती है जब हम बिना हिचके, बिना शर्माए, बिना तिरस्कार के, बिना कुछ सोचे विचारे ऑफर की गई चाय पी लेते हैं। चूंकि हम रोज चाय पीते ही हैं तो रिश्तेदार के घर मना क्यों करने लग जाते हैं।

ऐसे छोटे छोटे सहजता के उदाहरण हमारे दैनिक जीवन में रोज सामने आते हैं। सहजता में स्वतः परिस्थिति को स्वीकार लिया है। इस स्वीकारोक्ति में जरा भी बुद्धि लगाने की जरूरत नहीं होती।

इसके उलट अगर हम चाय पीने के आदि होने के बाद भी ऑफर की गई चाय लेने से मना करते हैं तो यह असहजता और अहंकार का द्योतक होता है। दरअसल अहंकार के रूप बेहद महीन होते हैं, जो आसानी से समझ नहीं आते।

गुरुवार, 15 अगस्त 2019

... छोड़ दो💐

पिताजी कहते हैं सुबह चार बजे बिस्तर छोड़ दो, घरवाली कहती है घर मे रुपए छोड़ दो, दोस्त लोग कहते हैं गर्ल फ्रेंड छोड़ दो, स्नेही लोग कहते हैं चाय छोड़ दो, संत लोग कहते हैं लोभ मोह माया छोड़ दो...!

कुछ छोड़ने की जरूरत ही क्यों है यार। घोर कलयुग में पैदा हुआ हूँ, मैं तो कहता हूं सबकुछ पा लो। धन पा लो, पद पा लो, लोभ मोह माया के साथ मुक्ति भी पा लो।

एक ही अवसर है, एक ही जीवन है। राह में जो सरलता और सहजता से मिले स्वीकार कर लो।

बुधवार, 14 अगस्त 2019

पूर्णिमा...💐

आज पूर्णिमा व्रत है। घर में बड़े बुजुर्ग उपवास रखे हैं, सुबह से कुछ नहीं खाए हैं। कहते हैं आज की तिथि बड़ी पावन होती है। जो भी श्रद्धापूर्वक पूर्णिमा व्रत मनाता है, उसकी सारी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है।

मेरे मन में बचपन से ही पूर्णिमा व्रत को लेकर बड़ी उत्सुकता रही है। उस दिन घर में सुबह चार बजे से ही चहल पहल शुरू हो जाती थी। महिलाएं घर के आंगन को गोबर से लिपती थीं, चौक पूरती थीं, नारियल प्रसाद और आरती तैयार करती थीं, बाड़ी से ताजी सब्जियां लाई जाती थी, सब लोग सुबह से स्नान करके तैयार हो जाते थे। तब पूर्णिमा को किसी उत्सव की तरह मनाया करते थे।

हर पूर्णिमा को बारी बारी से सबके घरों में ग्रंथों का पठन पाठन और भजन सत्संग होता। मोटे मोटे ग्रंथ निकाले जाते। बड़े बुजुर्ग और श्रद्धालुजन पूनो महात्म्य का पाठ करते, सारा दिन घर में भजन और सत्संग होता। घर आंगन आध्यात्मिक सुगंध से सुवासित रहता।

शाम को प्रसाद वितरण होता, ततपश्चात सब लोग एक साथ बैठकर नाना प्रकार के व्यजनों का रसास्वादन करते। भोजन प्रसाद के बाद रात भर फिर सत्संग होता, साहब की बातें होती।

बचपन की पूर्णिमा व्रत की अनुभूतियाँ और दृश्य मन में गहरी समाई हुई है, जिन्हें याद करता हूँ। किसी पूर्णिमा पर मैंने भी कलशे पर एक आरती जलाई थी, जो आज भी प्रज्ज्वलित है...

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गुरुवार, 8 अगस्त 2019

फेसबुक के दोस्तों...💐

फेसबुक के मेरे दोस्तों...कुछ ऐसा कहो कि साहब के प्रति भाव से मेरा भी हृदय भीग जाए, मेरी भी पलकें भीग आए, उनकी छवि दृष्टि पटल पर उभर आए, उनके प्रेम से भर जाऊँ, जीवन में जागरण आ जाए। कुछ तो ऐसी बात बताओ कि साहब ताउम्र के लिए हृदय में उतर आएं।

मैं सुनना चाहता हूं कि आप सबके जीवन में साहब के क्या मायने हैं? मैं सुनना चाहता हूं कि आपके जीवन में साहब ने क्या बदला? मैं जानना चाहता हूं कि आपका जीवन साहब से किस तरह और क्यों प्रभावित है? कुछ तो हुआ होगा, कोई तो घटना रही होगी, कोई तो परिस्थिति ऐसी निर्मित हुई होगी जिससे आपके जीवन में साहब उतर आए होंगे।

साहब से जुड़े जीवन के वो छोटे बड़े किस्से, सुख दुख के लम्हें, वो अमूल्य और परिवर्तनकारी क्षणों को आप सबके माध्यम से महसूस करने का सुख मैं भी लेना चाहता हूं। हो सके तो जरूर शेयर करें...🙏

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बुधवार, 7 अगस्त 2019

गुस्सा...💐

कभी कभी मन करता है भक्ति और प्रेम रस से भीगे शब्दों को त्यागकर वीर रस, वीभत्स रस की स्याही अपनी कलम में भर लूँ। शब्दों में कोमलता, सुकुनता समाहित कर सकता हूँ तो कठोरता और चुभन भी उड़ेल सकता हूँ।

मन में बेपनाह उद्वेग है, गुस्सा है, नफरत है उनके लिए जो वातावरण में जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद का जहर घोल रहे हैं, और माहौल खराब कर रहे हैं।

सोचता हूँ उनकी जिंदगी हमेशा के लिए शापित कर दूँ, उजाड़ दूँ और उनके रक्त से रंजित नए शब्द उकेर दूँ।

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गुरुवार, 1 अगस्त 2019

बड़े लक्ष्य...💐

बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के मार्ग में अनेकों बाधाएं आती हैं, अनेकों मुश्किलें आती हैं। लेकिन जब लक्ष्य प्राप्ति का उद्देश्य जनकल्याण, अहिंसा, नैतिकता पर आधारित हो तो वह मार्ग और भी कठिन होता है, काँटों भरा होता है। 

हमें उन पर गर्व है जो ऐसे बड़े लक्ष्य की प्राप्ति की राह में अकेले ही चल पड़े हैं। आज सारी कायनात अपेक्षा की नजरों से उन्हें देख रहा है, लोग टकटकी लगाए बैठे हैं, उनका हर पग इतिहास रच रहा है। उनकी राह में अपार जनसमूह की मंगल कामनाएं अपने आप जुड़ी हुई हैं।

उनकी राह में श्रद्धा का एक फूल सादर अर्पित...

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कट्टरता...💐

जाति, सम्प्रदाय और राजनीति बड़ा दलदल है। अच्छे और नेक लोग भी इस दलदल में कभी न कभी घिर जाते हैं। वैचारिक कट्टरता, साम्प्रदायिक कट्टरता, जातिगत मतभेद, राजनीतिक लोलुपता से आम आदमी त्रस्त रहता है, जो दो वक्त की रोटी, सुकून और शान्ति पसंद हैं।

सोशल मीडिया वैचारिक आदान प्रदान का सबसे पावरफुल माध्यम है। लेकिन कुछ संकुचित विचार वाले लोग सोशल मीडिया जैसे आम पहुंच के माध्यम को भी जाति, सम्प्रदाय और राजनीति का अखाड़ा बना देते हैं।

एक वर्ग जिन्हें बुद्धिजीवी कहते हैं अपने ही विचारों को पोषित करने में लगे रहते हैं। समाज के नासूर और घाव को कुरेदते रहते हैं, अपने तर्कों से सामाजिक बुराइयों को और ताजा बनाए रखते हैं।

जातिवाद, सम्प्रदायवाद, राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी और ठेकेदार जैसे कुछ चेहरे आम आदमी को अपनी मर्जी से जिधर चाहें उधर हाँकते रहते हैं। कोई आदमी को ये नहीं पूछता की भैया तुम क्या चाहते हो।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...