मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

28 बरस का वह नवयुवक...💐

तब संतों की संगति थी, वो जहां जाते नवयुवक उनका झोला उठाकर उनके पीछे हो लिया करता, उनके पदचिन्हों का अनुशरण किया करता। तब उनकी ही तरह साहब को नस नस में जीने की व्याकुलता थी, तब ईश्वर को जानने की उत्सुकता थी, तब अज्ञेय से परिचय की उत्कंठा थी।

एक दिन किसी गाँव मे संतों ने ग्रंथ कार्यक्रम के मंच पर अपने साथ उस नवयुवक को जबरदस्ती बिठा दिया, माईक मुँह में ठूंस दिया और आदेशित किया गया कि साहब की वाणियों को ग्रामीणों के समक्ष कहूँ। कुछ देर के लिए वह नवयुवक अवाक रह गया, कुछ कह ही नहीं सका, पूरा माहौल सुन्न हो गया, थोड़ी देर तक गहरा मौन पसरा रहा।

नवयुवक ने अपने को संभालते हुए नाम स्मरण पर बोलना शुरू किया। चंद शब्दों के बाद ही साहब से मिलन के सफर की कहानी सुनाते सुनाते मंच पर भावविह्ल फुट फुटकर रो पड़ा, कुछ न कह सका। बस वो रोता ही रहा, रोता ही रहा, रोता ही रहा। हिचकियाँ ले लेकर अपने हृदय की बात गांव वालों को बताता रहा। करीब 20 मिनट बीत गए, आँसू थमते नहीं थे, भाव रुकते ही नहीं थे। गांव के लोग अचरज भरी निगाहों से 28 बरस के उस नवयुवक को ताक रहे थे।

प्रियतम से मिलन...💐

परिवार की सारी जिम्मेदारियाँ पूरी करने के बाद, जब रात में सब सो जाते हैं तब वो चुपचाप उठता है। अंधेरे में अपने बिस्तर पर बैठे बैठे साँसों के संगीत में खो जाया करता है। सबकी नजरों से बचते बचाते किसी और का हो जाया करता है। मौन की चरम गहराई में वो अपने प्रियतम से मिलने जाता है, उनकी मधुर आवाज सुनने जाता है, उनका दीदार करने जाता है। वो भी अपनी प्रेयसी से हर रोज मिलने आते हैं। जब भी उन्हें पुकारता है, वो जरूर आते हैं।

सबके सो जाने के बाद वो हृदय का द्वार अपने प्रियतम के लिए खोलता है, उन्हें प्रेम का सुमन गुच्छ भेंट करता है, उनकी छाया में देर तक रहता है, उनसे दिल की बातें कहता है। उनके आगोश में अपना अस्तित्व बिछा देता है। कमरे के अँधरे में भी चांदनी खिल उठती है, उनकी खुशबू से रात महक उठती है, उनके दिव्य स्पर्श से अस्तित्व पुलकित हो उठता है।

इसी तरह हर रोज, हर पल, हर क्षण वो अपने प्रियतम की प्रतीक्षा करता है, पलकें बिछाए उनके आने की राह देखता है। प्रेयसी की इस प्रतीक्षा में मिलन की गहरी व्याकुलता है, बरसों की प्यास है, स्वाति बून्द की आस है...

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...