सच्चे दिल से माँगो, मिलेगा। सच्चे भाव से ढूढों, पा जाओगे। सत्य पथ पर आचरण करते हुए उसका द्वार खटखटाओ, अवश्य खुलेगा...💐
हम वासी वह देस के, जहाँ बारह माह बसन्त।
प्रेम जरे विकसे कमल, तेज पुँज झलकन्त।।
हम वासी वह देश के, जहाँ नहीं माह बसन्त।
नीझर झरे महा अमी, भीजत है सब संत।।
हम वासी वह देश के, जहाँ जात वरण कुल नाहिं।
शब्द मिलवा हो रहा, देह मिलावा नाहिं।।
हम वासी वह देश के जहाँ पार ब्रम्ह का खेल।
दीपक जरै अगम्य का, बिन बाती बिन तेल।।
✍️... पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब (सुरति योग ग्रंथ, जुलाई 1998 से साभार)