मुझे ग्रन्थों में लिखी साहब की वाणियों की कोई जानकारी नहीं है। जब जानकारी नहीं है तो मुझे उसके बारे में लिखना भी नहीं चाहिए। लेकिन कई प्रश्न मन में उमड़ते रहते हैं, जैसे- "किस ग्रन्थ में किस वंश गुरु का कार्यकाल कितना होगा?" जैसे प्रश्न कोई पूछता है तो बड़ा गुस्सा आता है। ऐसे उल्टे-पुल्टे और बेतरतीब प्रश्न मुझे परेशान करते हैं।
मैं ग्रन्थों पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाना चाहता। लेकिन मुझे लगता है कि अभी पंथ श्री उदितमुनि नाम साहब, हुजूर प्रखर प्रताप साहब को गद्दी की जिम्मेदारियों से दूर रखना चाहिए। उनके कंधों पर अभी निकट भविष्य में कोई भार नहीं सौंपनी चाहिए। उन्हें ऊंची से ऊंची आधुनिक शिक्षा और तालीम देनी चाहिए।
यह घोर कलयुग है। भांति भांति के लोग कबीरपंथ से जुड़े हुए हैं, अनेकों टेढ़े मेढ़े लोग और साहब के भक्त उनसे जुड़े हुए हैं। समाज अनेक बदलावों से गुजर रहा है, ऐसे में मैं चाहता हूं कि उनको ऊंची से ऊंची तालीम दी जाए। वो वर्तमान के बड़ी सी बड़ी समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हों, वर्तमान सामाजिक ढांचे के अनुरूप उन्हें शिक्षित और दीक्षित किया जाए।
मेरा मत है कि जब तक पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब और परम् पूज्य डॉ. भानुप्रताप साहब इस धरा धाम में विराजमान हैं, तब तक आने वाली पीढ़ी को जिम्मेदारियों से मुक्त रखा जाए।
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