शुक्रवार, 8 मई 2020

वो लम्हें जो बीत चुके...💐

जिंदगी आज बहुत आगे बढ़ चली है, और तुम कहीं बहुत पीछे छूट चुकी हो। मेरी आवाज तुम तक अब नहीं पहुँच सकती, जानता हूँ। मगर दिल तुम्हें ढूंढता है, कहीं तलाशता है। लगता है कुछ और कह लूँ, कुछ और सुन लूँ, थोड़ा वक्त तुम्हारे साथ और बिता लूँ। लम्हें जो अब वापस लौटकर नहीं आएंगे, वक्त भी अपने को नहीं दुहराएगा। फिर भी दिल अक्सर तुमसे मिलने की जिद किया करता है।

उन बीते लम्हों को काश दुबारा जी पाता, आत्मा की अनकही बातें और कह पाता, कुछ तुम्हारी सुन पाता। लेकिन हमारे रिश्ते की डोर अब टूट चुकी है, तुम किसी और बंधन में बंध चुकी हो और मैं किसी और के गठबंधन में। 

यूँ तो जीने के लिए थोड़े प्यार भरी नजरें ही काफी हैं, लेकिन मुझे तो सारा आकाश मिला, फिर गीले शिकवे भला क्यों और किससे करूँ? जीवन मे सबकुछ तो हासिल नहीं होता, जो मिला बहुत मिला.... कहते हुए उसके नयन रो पड़े।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...