अरसे से वो ठूठ की तरह खड़ा है। लोग कहते हैं वो जिंदा है। जब शब्द मौन हो जाते हैं, तब उसकी अभिव्यक्ति होती है। अस्तित्व बोलता है, उसे चलाता और नियंत्रित करता है।
उस शिखर पर वो अकेले ही है, लोग कहते हैं वहां अदभुत आनंद है। लेकिन दर्द उसका पीछा नही छोड़ता। जमीन में रह रहे लोगों की चीख पुकार शिखर की ऊंचाई में ज्यादा अच्छे से सुनाई देती है।
अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा एक व्यक्ति, मेले की भीड़ में सामान बेचकर दो वक्त की रोटी जुटाता रिश्तेदार, एक लड़की विवाह के बंधन में बंधने के सपने संजोए, बेटे के घर लौटने के इंतेजार में खड़ी उसकी माँ, पड़ोस की गाय की दुर्घटना में मौत, किसी नए जीवन के पनपने की आवाज... शिखर से वो सुनता, देखता और रोता है।
सच में वो ठूठ ही है, लेकिन लोग कहते हैं वो अभी जिंदा है।