सोमवार, 11 जुलाई 2022

मेरी चौका आरती ...💐

चौका आरती स्थल दामाखेड़ा...
सुबह से ही "तन थिर, मन थिर, वचन थिर, सुरति निरति थिर होय" पर ध्यान लगाए शाम को चौका आरती की प्रतीक्षा थी। चौका स्थल में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक थी, बैठने की जगह नहीं थी। नारियल, द्रव्य, पान, सुपारी किसी से कहकर भीतर भिजवा दिया और तालाब किनारे जाकर जैसे साहब चौका में बैठते हैं, बैठ गया।

साहब का आगमन होता है और थोड़ी देर में चौका शुरू होता है। हारमोनियम, तबले, झांझ, मजीरे की मधुर ध्वनि कानों में पड़ती है। जैसे ही "प्रथम ही मंदिर चौका पुराए, उत्तम आसन श्वेत बिछाए" का शब्द सुनाई पड़ता है, रोम रोम जाग उठता है, तनमन प्रफुल्लित हो उठता है, हृदय और अंतरतम में साहब उतर जाते हैं।

जैसे जैसे चौका आरती आगे बढ़ता है, ऊर्जा से तनमन लबालब हो जाता है। भावनाएं हिलोरे लेने लगती है, आखों से अश्रुधारा फुट पड़ते हैं। साहब का अनुपम रूप नजरों के सामने झलकने लगता है। चौका पूरा होते तक साहब का ताज सहित मनभावन छवि दृष्टिपटल पर रहता है।

तालाब किनारे बैठकर हाथ मे लकड़ी लेता है, उसे तिनका मानकर तोड़ता है और साहब की बंदगी करता है।

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