शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

अमलेश्वर और मेरे सपने ...💐

"पंथ श्री उदितमुनि नाम साहब को गद्दी सौंपकर पंथ श्री प्रकाशमुनी नाम साहब अमलेश्वर आश्रम में रहने आ गए हैं। रोज सुबह चार बजे मुझे उनका फोन आता है, कहते हैं- चलो उठो, मॉर्निंग वॉक पर चलना है। ठंड का मौसम है इसलिए मैं मोजा जूता पहन लेता हूँ, गमछे से कान नाक बंद कर लेता हूँ और घर से आश्रम की ओर निकल पड़ता हूँ। साहब बिस्तर पर बैठे हैं, आश्रम पहुंचकर उनकी बंदगी करता हूँ।

साहब भी गमछे से नाक कान ढंक लेते हैं, मोजा जूता पहनते हैं। आश्रम में हम दोनों लकड़ी के चुल्हे में बनी चाय पीते हैं। आश्रम के मैदान में घांस उगे हुए हैं, जिन पर ओस की बूंदे चमक रही है। साहब कहते हैं कि पहले इस ओस भरी घांस पर दस मिनट चल लेते हैं, आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है। फिर मॉर्निंग वॉक के लिए हल्की रोशनी से नहाए गाँव की सुनी सड़कों की ओर निकल पड़ते हैं। 

चलते चलते साहब खूब सारी बातें करते हैं। वो बता रहे थे की सुगर लेवल और वजन कम करने के लिए ऑर्गेनिक चाय पीना चाहिए। कपालभाति और प्राणायाम करना चाहिए। लेकिन लोगों की भीड़ के कारण वो कुछ नहीं कर पाते। अब तो घुटनों में भी दर्द होता है और पैरों में सूजन भी हो जाती है।

पैदल चलकर जब थक गए तो नदी के किनारे बनी सीढ़ियों पर बैठकर सुस्ताने लगते हैं। वो मुझे बता रहे थे कि उदितमुनि नाम साहब का सलेक्शन राज्य स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए हुआ है, कह रहे थे कि जिस दिन मैच है उसी दिन माघ मेला भी है। वो चिंता जता रहे थे कि माघ मेला कैसे होगा।"

आज का सपना, जितना याद रहा उतना ही ...💐


साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...