साहब का ज्ञान हो जाना, उनके विमल स्वरूप से परिचय हो जाना आसान है। लेकिन उस ज्ञान के साथ जीना, उस ज्ञान को धारण किए हुए जीना, साहब के साथ जीना, उनमें क्षण क्षण लवलीन रहना बहुत मुश्किल होता है....बहुत ही मुश्किल।
कोई विरला ही जीवन भर साहब को हृदय में बसाए रखता है। वही अपने प्रियतम, अपने परमात्मा से मिलन की प्रतीक्षा में ताउम्र साँसे गिनता है। वही सत्यलोक जाने के सपने लिए साहब को निशदिन पुकारता है। कोई विरला ही उनकी याद में पल पल जीता है और पल पल मरता है।
पनिहारिन की भाँति साहब को सिर पर लेकर पग पग चलना बहुत मुश्किल होता है... बहुत ही मुश्किल।
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