शुक्रवार, 15 मार्च 2019

ग़ुलाबी पन्नों का दर्द...💐

बरसों बाद उससे अचानक ही सामना हो गया। सामना होते ही उसने प्रश्नों की झड़ी लगा दी। रो रोकर बार बार यही पूछती है "मुझे क्यों छोड़कर चले गए?" "मेरी गलती क्या थी?" दिल का सारा दर्द, सारी पीड़ा वो एक सांस में कह देना चाहती है। उसके पास मुझसे कहने के लिए सिर्फ शिकायतें ही शिकायतें हैं।

उसे कैसे बताऊँ अपने अंतर्मन की पीड़ा, उसे कैसे दिखाऊँ राख हो चुके सपने और जज़्बात? विछोह की व्याकुलता से मेरा भी जीवन पलता है, मेरे भी आंसू ढलते हैं। तुम तो शिकायत कर सकती है मुझसे, पर मैं किसे अपना दर्द बताऊं? किसके कंधे पर माथा रखकर रोऊँ?

जिस विरह को तुम जीती हो, उसी विरह में जलकर मेरा जीवन भी राख हो चुका है, जीवन ठूंठ बनकर खड़ा है, ख्वाहिशों के पंख कतर दिए गये हैं। सारी कोमल भावनाएं चीख चीखकर हजारों प्रश्न करती हैं। मेरे पास कोई जवाब नहीं है, और मैं निरुत्तर हूँ।

लेकिन अब और नहीं। अब बिल्कुल भी पलटकर पीछे नहीं देखना है। जो छूट गया सो छूट गया, जो जल गया सो जल गया। अतीत की यादों को फिर से दोहराना नहीं है, उसे हवा नहीं देना है। शायद हम कभी न मिल पाएं, शायद अब कभी बात न कर पाएं। नियति मुझे सहर्ष स्वीकार है। गुडबाय दोस्त...💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...