मंगलवार, 11 जून 2019

मेरी ओर मत ताकना...💐

हे आत्म साक्षात्कारी महापुरुष, हे परमात्मा स्वरूप दिव्यदृष्टि धारी आप झोला उठाकर हिमालय क्यों नहीं जाते? पारख हो गया है, आत्मज्ञान हो गया है तो यहां वहाँ लोगों के घर डेरा क्यों डालते हो?

हाथ घुमाओ, मंतर पढ़ो, खीर-पूड़ी और लड्डू प्रगट करके खाओ और जरूरतमंदों को भी खिलाओ। शादी हुई होती, घर में बाल बच्चे होते, परिवार की जिम्मेदारी होती तब पता चलता आपको की इस महंगाई में घर चलाना कितना मुश्किल काम है।

हवा हवाई ज्ञान बघारना बहुत आसान है, लेकिन जीना बहुत कठिन। आपके तीसरे पैर को सादर चरण स्पर्श... कृपया दुबारा मेरी ओर मत ताकना...💐

मेरी उदासी और तन्हाई...💐

मैंने अपनी उदासी और तन्हाई से वादा किया था कि मै उसे खुद से दूर जाने नहीं दूँगा, थोड़ा ही सही लेकिन उसे भी वक़्त जरूर दूँगा। क्योंकि जब खुशी मेरे पास नहीं थी, तब ये उदासी और तन्हाई ही तो थी जिसने बहुत कुछ सिखाया, जिन्दगी में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। फिर अपनी उदासी और तन्हाई से दूर जाने की सोच भी कैसे सकता हूँ।

उदासी और तन्हाई से एक बात सीखी कि जैसे हम खुशी का आनंद लेते हैं, ठीक वैसे ही हमें अपनी उदासी और तन्हाई का भी आनंद लेना चाहिये, और मै इनका भी आनंद लेता हूँ।

अगर उदासी और तन्हाई को भली भाँति समझा जाए तो वो ये कहती है कि मै तो इसीलिए तेरे पास आयी हूँ कि मै तेरे हौसले को और मजबूत कर सकूँ।


साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...