मंगलवार, 4 जून 2019

शिकायतें...💐

लगता था कि जब भगवान मिलते होंगे तो जिंदगी की सारी समस्याओं का अंत हो जाता होगा। कमाने खाने की भी जरूरत नहीं पड़ती होगी, जिंदगी में मजे ही मजे होते होंगे। लेकिन उनकी फटीचर सी जिंदगी देखकर पता चलता है कि परमात्मा सिर्फ पेट भरने के लायक ही देता है, जिंदगी जीने के लिए जो न्यूनतम सीमा और आवश्यकता होती है, उतना ही झोली में डालता है।

परमात्मा मिलने के बाद भी जब जीवन में मर मरके कमाना पड़ता है, बीबी से डांट खानी ही पड़ती है, परिवार की जिम्मेदारी उठानी ही पड़ती है, तकलीफें झेलनी ही पड़ती है, तो ऐसे भगवान का क्या मतलब? ऊपर से जीव जगत रूपी विस्तृत परिवार की जिम्मेदारी का अहसास अलग, जो मुफ्त में मिलती है और उसे खुश करने के लिए रोज के अगरबत्ती का खर्चा अलग...

दो चार खोखे की लॉटरी लगवाओ, जीवन की सारी समस्याओं से निजात दिलाओ, इच्छाओं की पूर्ति करवाओ, तभी तो भगवान आपकी आरती गाएंगे। आप तो ये जिंदगी ऐसे ही रूखे सूखे निपटा रहे हो, ये भला कहाँ का न्याय है...💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...