वो मुझे अपनी पनाहों में सदैव घेरे रहते हैं। मेरे लिए खाना निकाल लेते हैं, मेरी गाड़ी में पेट्रोल भरवा देते हैं, मेरा मोबाइल रिचार्ज करवा देते हैं, जेब में आवश्यकता अनुसार पैसे छोड़ जाते हैं, मेरे कमरे की लाइटें जला जाते हैं। जो कोई मिलने आने वाले होते हैं उनका नाम पता बता जाते हैं। सबकी खबर देते हैं। उन्हें मेरे बारे में सबकुछ पता होता है। आज बाजार से उन्होंने सफेद बैगन खरीदने को कहा।
साहब मेरा सब काम कर जाते हैं, उनके बिना मैं अधूरा, बेबस और लाचार हो जाता हूँ। वो मुझे कभी मेरा नाम पुकारकर जगाते और सुलाते हैं, तो कभी अव्यक्त भाव से। वो हर राज की बात बताते हैं। मखमली चादर के पार, दुनिया और धरती के पार अकथ की कहानी कहते हैं, सत्यलोक की बातें सुनाते हैं।
जीवन में वो नहीं होते तो न जाने किस गटर में पड़े रहते। वो ही परमात्मा हैं, वो ही गुरु हैं, वो ही पिता, मित्र और सखा हैं। उनके बिना मैं कुछ नहीं, कुछ भी नहीं। वो मेरे दिन, वो मेरी रातें, वो मेरी नींद, वो मेरा सुकून और अभिमान। हृदय में सदा अकथनीय एक बोध रह जाता है, वो बोध साहब ही होते हैं। मेरा हाथ मत छोड़िएगा साहब, चरणों में विनती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें