शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

डायरी के गुलाबी पन्ने...💐

बेबसी और लाचारी उसकी आँखों में तैर रही है। रह रहकर गुजरे और दर्द भरे परिस्थितियों की टीस पलकों को गीला कर देती है। वे लम्हें जो गुजर गए अनेकों अनुभव और जिंदगी का सबब दे गए।

अभी सम्भले ही थे कि वक्त ने फिर उनसे सामना करा दिया। जिन लम्हों को भुलाना चाहा, जिन अहसासों से पीछा छुड़ाना चाहा वो वर्तमान का फिर से हिस्सा बनना चाहते हैं। क्यों वो दर्द सदैव पीछा करते हैं, क्यों वो चेहरा बार बार मेरे आज को छूने की कोशिश करता है।

जिंदगी के उस दुख भरे चेप्टर को तो मैंने कब का ब्लॉक कर दिया है, लेकिन वो नए नए आईडी बनाकर, अलग अलग माध्यमों से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है, मुझसे जुड़ने की कोशिश करता है, वर्तमान जिंदगी का हिस्सा बनने की कोशिश करता है।

डायरी के वे गुलाबी पन्ने आज फिर हरे हो गए। पढ़ते पढ़ते उन अहसासों से भीगे नयन अकस्मात उन पन्नों पर टपक पड़े।


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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...