शनिवार, 11 दिसंबर 2021

मर्यादा...💐

किसी विषय पर लोगों की राय, विचार, सोचने समझने का तरीका अलग अलग होता है। कई बार मेरा लेख मेरे फेसबुक मित्रों को पसंद आता है तो कई बार आलोचना भी होती है।

मेरी पत्नी को साहब से संबंधित मेरे लेख, विचार और भावनाएं बिल्कुल पसंद नहीं आते। उसका कहना है कि गुरु और शिष्य की अपनी मर्यादाएं होती है, और मैं मर्यादा तोड़कर जो मन में विचार आते हैं उन्हें लिख दिया करता हूँ। दरअसल मेरा मानना भी यही है कि गुरु और शिष्य के बीच मर्यादा होनी ही चाहिए, लेकिन मैं भक्त और परमात्मा के बीच की मर्यादा के विरुद्ध हूँ।

चूंकि साहब ही मेरे गुरु हैं और साहब ही मेरे परमात्मा भी हैं। जब उन्हें गुरु के रूप में लिखता हूँ तो मर्यादा का ध्यान रखता हूँ। लेकिन जब उन्हें परमात्मा के रूप में लिखता हूँ तो मर्यादा तोड़कर किसी मित्र, किसी दोस्त, किसी पारिवारिक सदस्य समझकर दिल की सारी भड़ास निकाल देता हूँ।

मुझे नहीं पता कि साहब से संबंधित मेरे लेखों को आप सब किस रूप में समझते हैं। इस बारे में आप सबसे मार्गदर्शन की उम्मीद करता हूँ।

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नारियल की चोरी ...💐

विपरीत परिस्थिति थी, सांसे उखड़ रही थी। अस्पताल के बिस्तर पर निढाल पड़े आंसू छलक रहे थे। मन ने स्वीकार कर लिया था कि अब यह देश छोड़ जाना है। शादी को एक सप्ताह हुए थे, नई नवेली पत्नी घूंघट में पास बैठे फफक रही थी। परिवार के लोग भी हार मान चुके थे। सब लोग समय की नाजुकता समझ चुके थे।

समाचार सुनकर सफेद लिबाश में दो संतों का अस्पताल के बिस्तर पर आगमन हुआ। पान परवाना और नारियल प्रसाद देते हुए बताया कि ये उस नारियल का प्रसाद है जिसे साहब ने अपने गुरु पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब को समाधि मंदिर में भेंट किया था।

उन्होंने बताया कि हम अपने साहब को बड़ी गहराई और श्रद्धा से नारियल भेंट करते हैं। तो सोचो साहब अपने पिता को, अपने गुरु को, अपने साहब को किस गहराई और किस शिखर से नारियल भेंट करते होंगे। सोचो उस नारियल की क्या महिमा होगी जिसे साहब अपने साहब को भेंट करते होंगे। और वो नारियल हमें मिल जाए, उस नारियल का प्रसाद हमें मिल जाए तो जीवन बदल जाता है। अस्पताल में उसने साहब का चरणामृत और प्रसाद लिया, संतों को दंडवत बंदगी किया। तीन दिन बाद अस्पताल से छुट्टी हो गई।

तब से वो जब भी दामाखेड़ा जाता है समाधि मंदिर में साहब द्वारा पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब को भेंट किए गए नारियल की चुपके से चोरी करता है।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...